चीन ने सेना में लाइट वेट बैटल टैंक को शामिल किया है। इस टैंक की खास ताकत 105mm गन है, जो गोले और मिसाइल दोनों ही फायर कर सकती है। बता दें कि चीन ने डोकलाम विवाद के दौरान इस टैंक का टेस्ट तिब्बत में किया था। चीन का ये लाइटवेट टैंक तब सुर्खियों में आया, जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने जून के महीने में तिब्बत में इसका ट्रायल किया।
PLA के स्पोक्सपर्सन कर्नल किआन ने कहा था ये ट्रायल केवल तिब्बत की जमीन पर इस बैटल टैंक की क्षमता परखने के लिए किया जा रहा है। हमारी इस एक्सरसाइज का और मकसद नहीं है और ना ही कोई देश हमारे निशाने पर है।चीन के न्यूज पेपर चाइना डेली के मुताबिक, चीन की सबसे बड़ी हथियार बनाने वाली कंपनी नॉर्थ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉर्प ने इस टैंक को बनाया है।
इस टैंक का वजन 25 से 35 मीट्रिक टन है। इसके हाइड्रोन्यूमेटिक सस्पेंशंस पहाड़ी इलाकों में इसे ज्यादा रफ्तार और टिकाऊपन देते हैं। इसकी 105mm गन गोले और गाइडेड मिसाइल फायर कर सकती है।मिलिट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस टैंक का अहम रोल पहाड़ी इलाकों में लड़ाई के लिए है। कम टेम्प्रेचर पर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है
चीन ने 73 दिनों के डोकलाम विवाद के दौरान इस टैंक का ट्रायल भारत के खिलाफ प्रेशर टैक्टिक्स के तौर पर किया था।न्यूज पेपर के मुताबिक, इस लाइट वेट टैंक की पब्लिसिटी के लिए चीन आर्मी ने मिलिट्री एग्जीबिशन में भी तस्वीर लगाई। ऐसा पहली बार है, जब चीन की आर्मी ने इन टैंक्स की तस्वीर जारी की है।
हालांकि, इसका नाम नहीं लिखा गया था। इसे 30 जुलाई को हुई मिलिट्री परेड में भी डिस्प्ले किया गया था।PLA अकैडमी ऑफ मिलिट्री साइंस में एक्विपमेंट रिसर्चर डूवेनलॉन्ग ने कहा इस टैंक को चीन के दक्षिणी इलाके और पठारों में इस्तेमाल करने के लिए डेवलप किया गया है।
यानी भारतीय बॉर्डर के पास तिब्बत के इलाकों में। कम ऑक्सीजन में काम करने का मतलब है कि टैंक के इंजन बहुत पॉवरफुल होने चाहिए। इसके अलावा पावर, फायर कंट्रोल और एम्युनेशनल सिस्टम भी ऊंचाई पर काम करने के लिए खासतौर पर डिजाइन किया जाना चाहिए।