पूर्व वाइस प्रेसिडेंट जैक वार्नर पर लगा लाइफटाइम बैन

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फीफा (फेडरेशन आफ इंटरनेशनल फुटबॉल एसोसिएशन) के पूर्व वाइस प्रेसिडेंट जैक वार्नर पर लाइफटाइम बैन लगा दिया गया है। अब वे फुटबॉल से जुड़ी किसी भी नेशनल या इंटरनेशनल एक्टिविटी में शामिल नहीं हो सकेंगे। 72 साल के वार्नर पर लगा यह बैन 25 सितंबर से प्रभावी होगा।फीफा के मुताबिक, कैरेबियाई फुटबॉल प्रेसिडेंट रह चुके वार्नर को ‘फीफा और नॉर्थ अमेरिकी फुटबॉल फेडरेशन कोनकाकाफ में विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करने का दोषी पाया गया है।

वार्नर अमेरिका में मौजूदा फीफा भ्रष्टाचार मामले से संबंधित 12 आरोपों का सामना कर रहे हैं। इसमें धोखाधड़ी, रैकेट चलाना और फंड्स की हेराफेरी के आरोप शामिल हैं। पूरा मामला 950 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले के मामले से जुड़ा है। वार्नर पर ये आरोप 2013 में फीफा की इंटरनल कमेटी ने लगाए थे। वॉर्नर को अपने देश त्रिनिदाद एंड टोबैगो में अमेरिका प्रत्यर्पित (extradition) किए जाने के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। सुनवाई दिसंबर में होनी है।

फीफा प्रेसिडेंट सेप ब्लैटर और पूर्व प्रेसिडेंट प्लाटिनी के खिलाफ भी आपराधिक जांच चल रही है। ब्लैटर पर फीफा में फाइनेंशियल हेरफेर करने और 2011 में पूर्व प्रेसिडेंट प्लाटिनी को 13.2 करोड़ रुपए का गैरकानूनी ढंग से पेमेंट करने के आरोप हैं। हाल ही में स्विट्जरलैंड के अटॉर्नी जनरल के लोगों ने ब्लैटर से पूछताछ की थी और उनके दफ्तर की तलाशी भी ली थी।

फीफा प्रेसिडेंट का चुनाव अगले साल होना है। इस पद के कैंडिडेट चुंग मोंग जू ने ब्लेटर पर लगे आरोपों के बाद मंगलवार को एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। फीफा के पूर्व वाइस प्रेसिडेंट दक्षिण कोरिया के मोंग जू ने कहा कि फीफा के नेतृत्व के लिए वर्किंग कमेटी बनाया जाना चाहिए ताकि फीफा बिना किसी समस्या के अपना कामकाज कर सके।इस साल मई में स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में फीफा के सात अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इन पर 950 करोड़ रुपए से ज्यादा की घूस लेने और फाइनेंशियल गड़बड़ी करने का आरोप था। गिरफ्तार अधिकारियों पर आरोप था कि वे अमेरिका में फुटबॉल टूर्नामेंट्स के आयोजन में धांधली कर रहे थे।

ट्रैफिक ग्रुप नाम की ब्राजील की स्‍पोर्ट्स मार्केटिंग फर्म और इसके फाउंडर जोस हविला फीफा में भ्रष्‍टाचार से जुड़ी अहम कड़ी हैं। अमेरिकी एजेंसियों के मुताबिक, फीफा को घूस देने वाले कारोबारियों में हविला सबसे अहम हैं। वह फुटबॉल प्रतियोगिताओं का आयोजन कराने वाली संस्‍थाओं और इन आयोजनों से जुड़ने वाली कंपनियों के बीच की अहम कड़ी के तौर पर काम करता रहा है। इन कंपनियों को मैच की स्‍पॉन्‍सरशिप या ब्रॉडकास्‍ट राइट्स आदि के लिए हविला और उसकी फर्म से करार करना पड़ता है। वह फुटबॉल फेडरेशन्स के अफसरों को घूस देकर कंपनियों से उनकी डील करवाता है।

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