जानिये स्‍त्री के कामोत्‍तेजना का केंद्र

नाभि ओर से स्‍त्री के जननांग की ओर बढ़ने पर पहले बृहद भगोष्‍ठ अर्थात आउटर लिप्‍स (Labia majora) के मिलने का बिंदु आता है। इस मिलन बिंदु पर एक अंकुर जैसा उभार होता है। इस उभार को अंग्रेजी में क्‍लाइटोरिस(Cliotoris) और हिंदी में भगांकुर/भगनासा/ भगशिश्‍न कहते हैं।

किसी स्‍त्री के लिए चर्मोत्‍कर्ष बिंदु तो किसी को इसका टच भी पसंद नहीं
सेक्‍स विशेषज्ञों के अनुसार, पुरुष के लिंग के समान है स्‍त्री उत्‍तेजना का केंद्र क्‍लाइटोरिस है। इसीलिए इसेभगशिश्‍न कहते हैं। वास्‍तव में इसकी संरचना पुरुष के लिंग के समान ही है और उसी की तरह उत्‍तेजक और संवेदनशील भी। कई स्त्रियां इसके सहलाने, दुलारने या जीभ से हुए छेड़छाड़ को बहुत अधिक पसंद करती हैं और योनि में पुरुष लिंग के प्रवेश के बिना ही संभोग के चरम आनंद को प्राप्‍त कर लेती हैं। वहीं कई स्त्रियों को इसे छूआ जाना भी पसंद नहीं होता और वह इसकी संवेदनशीलता को बर्दाश्‍त ही नहीं कर पाती हैं।

समलैंगिक स्त्रियों के काम का प्रमुख केंद्र है भगशिश्‍न
विश्‍व प्रसिद्ध कृति द सेकेंड सेक्‍स की लेखिका व प्रमुख नारीवादी सीमोन द बोउआर लिखती हैं कि स्त्रियां प्राय: शरीर रचना के आधार पर Clitoridis और Vaginal होती हैं। क्‍लाइटोरिडस अर्थात भगशिश्‍न से सेक्‍स सुख प्राप्‍त करने वाली स्त्रियां सजातीय कामुकता अर्थात समलैंगिक या लेस्बियन स्‍वभाव की होती है। ऐसी स्त्रियां हस्‍तमैथुन कर क्‍लाइटोरिस को सहलाती और घर्षण करती हैं और खुद ही आर्गेज्‍म हासिल कर लेती है।

लेस्बियन रिलेशनसिप में पड़ी स्त्रियां एक-दूसरे के क्‍लाइटोरिस को सहलाने, चूमने और चाटकर एक-दूसरे को सुख पहुंचाती हैं। इसकी उत्‍तेजना से उत्‍पन्‍न सुख की मादकता समलैंगिक स्त्रियों को पुरुषों की कमी का अहसास नहीं होने देता है। ऐसी स्त्रियां पुरुषों के साथ संबंध में भी चाहती हैं कि उनका पुरुष साथी उनके भगशिश्‍न का घर्षण व मर्दन करे, सहलाए और मुख मैथुन के दौरान जीभ के उपयोग से उसे चरम आनंद तक पहुंचाए। 

पुरुष लिंग के समान ही है स्‍त्री का क्‍लाइटोरिस
पुरुष लिंग के समान ही स्‍त्री के भगांकुर में भी दंड जैसी

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