करवा चौथ का महत्व और सम्पूर्ण पूजन विधि जानिए

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करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है. इस बार करवा चौथ का त्यौहार 19 अक्टूबर (बुधवार को) को मनाया जाएगा. विवाहित महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत खास होता है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के साथ व्रत रखती हैं. यूं तो यह भारत के पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान का पर्व है. लेकिन अब देश में और भी जगहों पर लोग इस व्रत को करने लगे हैं.

जितना ही यह व्रत खास है उतना ही खास यह जानना भी है कि करवा चौथ क्यों मनाते हैं और यह व्रत विधिवत कैसे रखा जाता है. पौराणिकता की बात करें तो पति की सलामती और दीर्घायु के लिए इस दिन व्रत रखकर एक कथा पढ़ी जाती है. धार्मिक किताबों के मुताबिक शाकप्रस्थपुर वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ का व्रत किया था.

नियमानुसार उसे चंद्रोदय के बाद भोजन करना था, लेकिन उससे भूख नहीं सही गई और वह व्याकुल हो उठी. उसके भाइयों से अपनी बहन की व्याकुलता देखी नहीं गई और उन्होंने पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करा दिया. नतीजा यह हुआ कि उसका पति तत्काल अदृश्य हो गया.

अधीर वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चौथ के दिन उसकी तपस्या से उसका पति उसे फिर प्राप्त हो गया. यह व्रत अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुरूप रखा जाता है, लेकिन इन मान्यताओं में थोड़ा-बहुत अंतर होता है. सार तो सभी का एक होता है पति की दीर्घायु. करवाचौथ के दौरान पारंपरिक परिधान ही पहने जाते हैं क्योंकि यह व्रत और पूजा से जुड़ा दिन है. हालांकि जीवन के दूसरे नजरिये से देखा जाए तो वैश्विक ट्रेंड, फिल्म और फैशन का असर करवाचौथ पर नजर आता है.

करवा चौथ व्रत की विधि : करवा चौथ की आवश्यक संपूर्ण पूजन सामग्री को एकत्र करें. व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के बाद यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें- मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये. आठ पूरियों की अठावरी बनाएं. हलुआ बनाएं. पक्के पकवान बनाएं. पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं. गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं. चौक बनाकर आसन को उस पर रखें. गौरी को चुनरी ओढ़ाएं. बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें.

जल से भरा हुआ लोटा रखें. वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें. करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें. उसके ऊपर दक्षिणा रखें. गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें. पति की दीर्घायु की कामना करें. नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌, प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे. करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें.

कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें. तेरह दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें. रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्ध्य दें. इसके बाद पति से आशीर्वाद लें. उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें. पूजन के बाद आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर पर्व को संपन्न करें.

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