जानिये 21 जून 2020 के महा ग्रहण का आपके जीवन पर क्या पड़ेगा असर

जानिये 21 जून 2020 के महा ग्रहण का आपके जीवन पर क्या पड़ेगा असर

21जून 2020 (रविवार) को प्रातः से दोपहर तक सम्पूर्ण भारत में कंकण सूर्यग्रहण होगा। यह सूर्यग्रहण चूड़ामणि या कंकण सूर्यग्रहण कहलाता है। इसमें सूर्य एक कंगन और कड़े के समान गोल आकृति बनाते दिखाई पड़ेगा और रविवार को होने कारण इसे चूड़ामणि सूर्यग्रहण कहा जाता है।

यह ग्रहण पूरे भारत में ऐसी आकृति बनाता नहीं दिखेगा, पूरे उत्तरी राजस्थान, उतराखंड और उत्तरी हरियाणा में कंकणाकार आकृति बनती दिखाई देगी। लेकिन पूरे देश में यह ग्रहण खग्रास के रूप में नजर नहीं आएगा। कुछ स्थानों पर लोग इस ग्रहण को खंडग्रास के रूप में ही देख पाएंगे। भारत में मसूरी, टोहान, चमोली, कुरुक्षेत्र, देहरादून में यह ग्रहण कंकण रूप में नजर आएगा। जबकि कई नगरों में ग्रहण का प्रतिशत अलग-अलग होगा और खंडग्रास के रूप में दिखेगा। देश की राजधानी दिल्ली में ग्रहण के दौरान सूर्य का 95 प्रतिशत हिस्सा कटा हुआ दिखेगा।

ग्रहण की शुरुआत यूं तो 9 बजकर 16 मिनट से है लेकिन भारत में इसका आरंभ सुबह 9 बजकर 56 होगा और यह सबसे पहले गुजरात के द्वारका शहर में दिखेगा। यहां ग्रहण का मध्य दिन में 11 बजकर 30 मिनट पर होगा जबकि ग्रहण का मोक्ष 1 बजकर 20 मिनट पर होगा। जबकि 2 बजकर 28 मिनट पर पूरे देश में ग्रहण समाप्त हो चुका होगा। भारत में सबसे अंत में कोहिमा में ग्रहण का मोक्ष होगा यहां ग्रहण का आरंभ 11 बजकर 04 मिनट पर होगा।

ग्रहण का आरंभ भारत में 9 बजकर 56 मिनट से हो रहा है इसलिए नियमानुसार ग्रहण से 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक लग जाएगा। वैसे जिस नगर में ग्रहण का आरंभ जिस समय से हो रहा है उसी अनुसार ग्रहण का सूतक का समय भी लागू होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि शास्त्र कहता है कि सूर्यग्रहण में ग्रहण स्पर्श होने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक आरंभ होता है। इसलिए भारत में 20 तारीख की रात 9 बजकर 56 मिनट से ग्रहण का सूतक मान्य होगा। दिन में 2 बजकर 28 मिनट पर पूरे देश से ग्रहण का सूतक समाप्त हो जाएगा। वैसे अलग-अलग नगरों में सूतक समाप्त होने का समय अलग-अलग हो सकता है, क्योंकि ग्रहण का समापन अलग-अलग नगरों में अलग समय पर होगा।

इस सूर्यग्रहण से ग्रह नक्षत्रों में होने वाले बदलावों से कोरोना महामारी की अंत होना शुरू हो जाएगा। इस बार सूर्य ग्रहण रविवार को होने की वजह से वर्षा की कमी, गेहूं, धान और अन्‍य अनाज के उत्‍पादन में कमी आ सकती है। वहीं गाय के दूध का उत्‍पादन भी घट सकता है। इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि प्रमुख देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के बीच भी तनाव और बहस बढ़ सकती है। वहीं व्‍यापारियों के लिए यह ग्रहण अच्‍छा और लाभ देने वाला माना जा रहा है ।

देश में इस ग्रहण का अशुभ असर दिखेगा। वराहमिहिर के ज्योतिष ग्रंथ बृहत्संहिता के अनुसार इस ग्रहण पर मंगल की दृष्टि पड़ने से देश में आगजनी, विवाद और तनाव की स्थितियां बन सकती हैं। आषाढ़ महीने में ये ग्रहण होने से मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, कश्मीर और दिल्ली के पर इसका विशेष असर देखने को मिलेगा। इनके साथ ही यमुना नदी के किनारे बसे शहरों पर भी इसका अशुभ असर पड़ेगा।

12 में से 8 राशियों के लिए अशुभ

अशुभ – वृष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ और मीन

सामान्य – मेष, मकर, कन्या और सिंह

मित्रो इस ग्रहण मे जिनकी शादी की बात चल रही है या शादी करने लायक घर मे लडकी है तो आप सभी से अनुरोध है उनको सुर्य ग्रहण पर बाहर नही निकलने दे, गर्भवती स्त्रियों को भी सावधानी रखने की जरूरत है ग्रहण काल मे मंत्र विधान साधना विधानो का पुनश्चरण करे , जप, तप ,हवन करे चाहे वो गुरू मंत्र हो या इष्ट मंत्र हो या कुलदेवी मंत्र हो या अन्य जिसको आपने जिंदगी भर जपा हो,, बाकी स्थानीय समय अनुसार समय में कुछ अंतर हो सकता है यानि पांच दस मिनट ऊपर नीचे ।

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