हैदराबाद यात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली लौटे उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अपनी हैदराबाद यात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली लौट आए। उन्हें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के कन्वोकेशन और स्वर्ण भारत ट्रस्ट के कार्यक्रम में शामिल होना था। नायडू ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस समेत सात विपक्षी दलों के महाभियोग के नोटिस पर कानूनविदों से चर्चा की है।

कांग्रेस नेताओं ने सुबह करीब 11 बजे दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जो करीब 40 मिनट चली। उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस को अब न्यायिक काम से अलग हो जाना चाहिए, क्योंकि उनके खिलाफ महाभियोग नोटिस पर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके बाद उपराष्ट्रपति हैदराबाद से दोपहर नई दिल्ली रवाना हो गए।

दिल्ली पहुंचते ही नायडू ने महाभियोग पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पीके मल्होत्रा और पूर्व विधायी सचिव संजय सिंह से कानूनी और संवैधानिक मुद्दों पर चर्चा की।उन्होंने राज्यसभा सचिवालय के अधिकारियों और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्‌डी से भी बात की।

कांग्रेस और छह अन्य दलों ने शुक्रवार को सभापति को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया है। इस पर 71 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं, जिनमें से सात सेवानिवृत्त हो चुके हैं।उपराष्ट्रपति नायडू को सोमवार को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के कन्वोकेशन और मंगलवार को स्वर्ण भारत ट्रस्ट के कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन वे रविवार दोपहर को ही हैदराबाद से दिल्ली रवाना हो गए।

वे शनिवार को हैदराबाद पहुंचे थे और एक निजी शिक्षा संस्थान के ग्रेजुएशन कार्यक्रम में शामिल हुए थे। रविवार सुबह इस्कॉन के कार्यक्रम में शामिल हुए। यात्रा बीच में छोड़ने की कोई वजह नहीं बताई गई।कांग्रेस नेता विवेक तन्खा, ऐमी याज्ञनिक और राज्यसभा सदस्य केटीएस तुलसी ने रविवार को भाजपा पर महाभियोग पर राजनीति करने का आरोप लगाया। 

उन्होंने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर सभापति नायडू के कार्यालय ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसलिए चीफ जस्टिस को कोर्ट के काम नहीं करने चाहिए। अगर नोटिस रद्द हुआ तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।रिटायर्ड जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी के मुताबिक, महाभियोग आत्मघाती कदम है। प्रथम दृष्टया चीफ जस्टिस पर किसी कदाचार का आरोप तय करने के लिए साक्ष्य नहीं है।

अनियमितता से कदाचार तय नहीं होता।पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 124 में सीजेआई को कदाचार सिद्ध होने पर हटाने की बात है। महाभियोग का कहीं उल्लेख नहीं है। इसका मकसद न्यायपालिका को परेशान करना है।

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