कांग्रेस में राहुल गांधी भले ही पार्टी के नेशनल प्रेसिडेंट बनकर प्रधानमंत्री पद के स्वाभाविक कैंडिडेट बन गए हों, लेकिन कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ही पार्टी की सबसे बड़ी नेता रहेंगी। कांग्रेस संसदीय दल की नेता और यूपीए चेयरमैन का पद सोनिया गांधी के पास ही रहेगा। यह फैसला शुक्रवार को यहां कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की मीटिंग में लिया गया।
अगले लोकसभा चुनावों में मोदी को घेरने के लिए समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन करने की जिम्मेदारी यूपीए चेयरमैन के रूप में सोनिया निभाएंगी। बता दें कि 22 दिसंबर को राहुल गांधी ने कांग्रेस के 60वें अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभाला था।सोनिया गांधी पार्टी की संसदीय दल की नेता के रूप अपने एक्सपीरियंस और और पुरानी टीम को नए प्रेसिडेंट के साथ रखकर राहुल गांधी को आगे बढ़ाने में अहम रोल निभाएंगी।
पिछले 37 साल में यह पहला मौका था, जब कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग में नए कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही पूर्व प्रेसिडेंट के मौजूद रहने का मौका आया है। इससे पहले जब राजीव गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थे, तब पी.वी नरसिम्हा राव शामिल हुए थे।वर्किंग कमेटी की मीटिंग अब दिल्ली से बाहर भी होगी।
लोकपाल की नियुक्ति नहीं करने पर मोदी के खिलाफ प्रदर्शन किए जाएंगे।अब कांग्रेस में अनुशासन पर जीरो टॉलरेंस की नीति रहेगी। कांग्रेस के नेताओं को अनुशासन में रहकर मोदी, हिंदूत्व, कश्मीर और नेशनल सिक्युरिटी के मुद्दे पर बयान देने के लिए एक गाइड लाइन बनाकर सख्ती से पालन करवाया जाएगा।
कांग्रेस पूरे देश में बीजेपी की तरह करप्शन और बीजेपी की मौजूदा सरकार की नीतियों और कामकाज के खिलाफ आंदोलन चलाएगी, जिससे 2018 तक इसे बड़ा लेवल पर पहुंचाया जा सके।गुजरात चुनावों से सबक लेते हुए कांग्रेस अब नेताओं को अनुशासन में रहकर मोदी पर हमला करने, बूथ मैनेजमेंट को ठीक करने और एग्रेसिव कैम्पेन और संगठन को मजबूत करने पर फोकस करेगी।