अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल जे पी राजखोवा और मुख्यमंत्री नबाम तुकी के बीच आज टकराव और बढ़ गया.नबाम तुकी ने इस उद्देश्य के लिए विधानसभा का सत्र पहले करने के कदम को ‘‘अवैध’’ करार दिया और घोषणा की कि कार्यवाही में कांग्रेस का कोई भी विधायक हिस्सा नहीं लेगा.यह मामला राज्यसभा में भी गूंजा जहां कांग्रेस ने राजखोवा के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कार्यवाही में बाधा उत्पन्न की. कांग्रेस के सदस्यों ने उन्हें बर्खास्त करने की मांग की जिसे लेकर सत्तापक्ष से तीखी प्रतिक्रि या जतायी.
इस बीच कांग्रेस के उन 14 बागी विधायकों को आज विधानसभा से अयोग्य करार दिया गया जिनकी विधानसभाध्यक्ष नबाम रेबिया को हटाने के कदम के पीछे भूमिका थी. यह कार्रवाई विधानसभा के शीतकालीन सत्र शुरू हाने से एक दिन पहले हुई जब भाजपा के 11 विधायकों एवं दो निर्दलीय विधायकों की ओर से दिये गए महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा होगी.14 विधायकों में उप विधानसभाध्यक्ष टी एन थंडक भी हैं जिन्हें महाभियोग प्रस्ताव पर सदन की कार्यवाही संचालित करनी थी.
60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के कुल 47 विधायकों में से पूर्व मंत्री कलिखो पुल के नेतृत्व में 21 विधायकों ने पिछले तीन महीने के दौरान मुख्यमंत्री तुकी के खिलाफ बगावत की बिगुल फूंक दिया है.तुकी ने शाम में इटानगर में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह कदम जानबूझकर और राजनीतिक रूप से प्रेरित है ताकि राज्य के संवैधानिक प्रमुख द्वारा राज्य में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित कांग्रेस सरकार को सत्ता से हटाया जा सके. संवैधानिक प्रमुख का प्रमुख कर्तव्य राज्य एवं उसके लोगों की देखभाल करना है.’’
उन्होंने कहा कि अभी तक सदस्यों को विधानसभा का सत्र पहले आहूत करने के बारे में विधानसभा सचिवालय की ओर से कोई आधिकारिक संदेश नहीं मिला है.तुकी ने कहा, ‘‘चूंकि सत्र को अधिसूचित करने के लिए कोई आधिकारिक औपचारिकता नहीं निभायी गई और अभी तक किसी भी सदस्य को सूचित नहीं किया गया है, सत्र की शुरूआत अवैध है और हमने निर्णय किया है कि हम उसमें हिस्सा नहीं लेंगे.’’
राज्यपाल राजखोवा ने कुछ दिनों पहले तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र 16 दिसम्बर से 18 दिसम्बर तक आहूत करने का आदेश दिया था. उन्होंने ऐसा करके विधानसभा का सत्र 14 से 18 जनवरी तक आहूत करने के पहले के आदेश को संशोधित किया था.तुकी ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ आज शाम राजखोवा से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि वह अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें ताकि ‘‘कानून एवं व्यवस्था की गंभीर स्थिति’’ से बचा जा सके.
तुकी ने कहा, ‘‘हमारे अनुरोध के बावजूद राज्यपाल अपना आदेश रद्द करने को तैयार नहीं हुए और कहा कि चूंकि उन्होंने अपना आदेश पहले ही जारी कर दिया है उसे क्रि यान्वित करना विधानसभा का कर्तव्य है.’’राजखोवा ने बाद में आरोप लगाया कि सत्र पहले आहूत करने का आदेश वापस लेने के लिए अनुरोध करने के लिए उनसे मुलाकात करने वाले कुछ मंत्रियों ने ‘‘असंसदीय भाषा’’ का इस्तेमाल किया.
राज्यपाल ने कहा कि उनके पास उनके आदेश को चुनौती देने का विधिक विकल्प है.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने यह मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि राज्यपाल विधानसभा का शीतकालीन सत्र आहूत करने को लेकर राज्य सरकार और विधायिका की गतिविधियों में हस्तक्षेप कर रहे हैं और वह राज्य सरकार की ओर से अनुरोध नहीं किये जाने के बावजूद उसके एजेंडे पर ‘‘निर्णय’’ कर रहे हैं.वहीं केंद्र ने अरूणाचल प्रदेश के विधानसभाध्यक्ष को हटाने के लिए विधानसभा का शीतकालीन सत्र पहले आहूत करने के राज्यपाल जे पी राजखोवा के निर्णय का बचाव किया और कहा कि ऐसी स्थितियां हैं जब ऐसे निर्णय राज्य सरकार की सहमति के बिना किये जा सकते हैं.