नोटबंदी के खिलाफ भारत बंद के आह्वान पर पीएम मोदी द्वारा सवाल उठाए जाने पर कांग्रेस ने सफाई दी है. कांग्रेस ने साफ किया कि उसने सोमवार को भारत बंद का आह्वान नहीं किया है, लेकिन नोटबंदी के मुद्दे पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेगी. पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार का यह फैसला राजनीतिक कदम है जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के रूप में भुनाया जा रहा है.
पार्टी नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धमाका राजनीति में भरोसा रखते हैं और बड़े नोटों को बंद करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि उन्हें उत्तर प्रदेश में कुछ संभावनाएं दिखाई दीं जहां अगले साल चुनाव होने हैं. उन्होंने दावा किया कि विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के प्रधानमंत्री के बड़े चुनावी वादे को पूरा करने में सरकार की नाकामी को ढकने के लिए 1000 और 500 रुपये के नोटों को बंद किया गया था और मोदी कुछ नाटकीय करना चाहते थे.
दरअसल भारत बंद का जेडीयू को छोड़कर तमाम पार्टियों ने समर्थन का ऐलान किया था, लेकिन अब कई पार्टियों ने 28 नवंबर को आक्रोश दिवस के रूप में मनाने का संकेत दिया है. कांग्रेस और टीएमसी ने साफ कर दिया है कि वो सोमवार को भारत बंद के पक्ष में नहीं है, वो केवल नोटबंदी के खिलाफ में विरोध-प्रदर्शन करेंगे. इससे पहले भारत बंद का कांग्रेस, सपा, बसपा, टीएमसी, सीपीएम, सीपीआई, एनसीपी और आरजेडी द्वारा समर्थन करने की खबर आई थी.
नोटबंदी के मुद्दे पर विरोध जताने के तौर-तरीकों को लेकर विपक्ष में मतभेद उभर आए हैं. माकपा और भाकपा सहित वामपंथी पार्टियों ने नोटबंदी के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पश्चिम बंगाल में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है जबकि ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस इस बंद में शामिल नहीं होगी और सिर्फ विरोध प्रदर्शन करेगी. वहीं यूपी में समाजवादी पार्टी ने भी भारत बंद के फैसले से खुद को अलग कर लिया.
कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह एक राजनीतिक कदम है जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के रूप में बेचा जा रहा है. रमेश ने कहा कि अवैध तरीकों से धन जमा करने वाले लोगों को परेशानी नहीं हो रही है लेकिन उन लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जिनके पास कालाधन नहीं है. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से जिन लोगों पर हमले की जरूरत थी, वे बचकर निकल गये. रमेश के मुताबिक ‘सूट-बूट’ वाले लोगों का एक वर्ग अब भी विलासिता की जिंदगी जी रहा है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश ने दावा किया कि भाजपा यह गलत जानकारी फैला रही है कि कांग्रेस और अन्य दलों ने भारत बंद का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि विपक्षी दल कल जन आक्रोश दिवस मनाएंगे और देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे. मोदी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए रमेश ने कहा कि नौ नवंबर से आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं. संसद में विपक्ष की रणनीति के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री चर्चा में हिस्सा लेते हैं तो चर्चा होगी.
उन्होंने नये नोट लाने में सरकार की तैयारी पर भी सवाल उठाया और कहा कि अनुमान के मुताबिक नये नोटों की छपाई में और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में 250 दिन लग सकते हैं. रमेश ने कैशलेस या लेसकैश समाज के प्रधानमंत्री के आह्वान की भी आलोचना करते हुए कहा कि भारत में बड़ी संख्या में लोग दैनिक लेनदेन में नकदी का इस्तेमाल करते हैं.
उन्होंने कहा कि इस तरह की चीजों में वक्त लगता है और झटके देकर इनके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. जब रमेश से पूछा गया कि कांग्रेस की सहयोगी जदयू के नेता नीतीश कुमार नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन के समर्थन में क्यों नहीं हैं तो उन्होंने कहा कि जदयू नेता शरद यादव इसका समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी के विचार के पीछे पुणे का जो संगठन है, उसने भी कहा है कि जिस तरीके से इसे लागू किया जा रहा है उस तरह का सुझाव उनका नहीं था.
कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी इस कदम के मकसद के खिलाफ नहीं है और कालेधन तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ कदमों का समर्थन करेगी लेकिन हालात की हकीकत अलग है. उन्होंने कहा कि देश में केवल दो प्रतिशत लोग नकदीरहित लेनदेन करते हैं. देश को पूरी तरह कैशलैस बनाने में थोड़ा समय लगेगा. उन्होंने कहा कि साउंड बाइट्स पसंद करने वाले प्रधानमंत्री कैशलेस या लेसकैश समाज की बात कर रहे हैं, क्या वे नकदी रहित मंडिया भी चाहते हैं.
रमेश ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुमानों के हवाले से कहा कि देश की कुल जारी मुद्रा में केवल 0.02 प्रतिशत जाली नोट हैं. इसके लिए 80 प्रतिशत जनता को परेशान कर दिया गया है जिनमें किसान, असंगठित और लघु उद्यम क्षेत्र हैं. प्रधानमंत्री पर बड़े-बड़े दावे करने का आरोप लगाते हुए रमेश ने कहा कि एक कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए और खामियों की पड़ताल होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि अनुमान है कि केवल 5 से 10 प्रतिशत कालाधन नकदी में रखा जाता है, वहीं अधिकतर इसे सोने, चांदी या बेनामी संपत्ति के रूप में अथवा विदेशों में रखा जाता है.रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि न खाउंगा, न खाने दूंगा लेकिन समझा जाता है कि तत्कालीन मोदी नीत गुजरात सरकार में मंत्री रहे सौरभ पटेल का नाता बहामास की एक कंपनी से था, जहां कई कर चोर जाते हैं.
जदयू ने अपनी राष्ट्रीय के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नोटबंदी का समर्थन किए जाने पर निर्णय लिया है कि वह इसके विरोध में विपक्ष के कल प्रस्तावित भारत बंद और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा आगामी 30 नवंबर को पटना दिए जाने वाले धरना कार्यक्रम से अपने को अलग रखेगी.
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि हम लोगों ने केंद्र सरकार के नोटबंदी का जोरदार समर्थन किया है. नोटबंदी के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा बुलाए गए 28 नवंबर को भारत बंद का जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने समर्थन नहीं करने का फैसला किया है और अपने आप को इस भारत बंद से अलग कर लिया है. जेडीयू की कोर कमेटी बैठक के बाद ही यह फैसला लिया गया है कि विरोधी दल के बुलाए गए भारत बंद में पार्टी शामिल नहीं होगी.
तृणमूल कांग्रेस ने नोटबंदी के खिलाफ वाम दलों द्वारा सोमवार 28 नवंबर को बुलाई गई 12 घंटे की हड़ताल का विरोध किया. वहीं वाम मोर्चे ने बंद को उचित ठहराते हुए कहा कि यह नोटबंदी के खिलाफ विरोध जताने के लिए आवश्यक है. तृणमूल कांग्रेस के महासचिव सुब्रत बख्शी ने कहा कि वाम मोर्चा असल में नोटबंदी पर भाजपा की मदद करने की कोशिश कर रहा है इसलिए उन्होंने लोगों की परेशानियां बढ़ाने के लिए यह हड़ताल बुलाई है, उन्हें हड़ताल बुलाने से बचना चाहिए था.
उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की कोर समिति की बैठक के बाद कहा कि 28 नवंबर को तृणमूल कांग्रेस नोटबंदी का विरोध करने के लिए कॉलेज चौक से एस्प्लनेड तक एक रैली निकालेगी. बख्शी ने कहा कि ममता दी ने हड़ताल के आह्वान पर निराशा जताई है और कहा है कि लोग हड़ताल एवं बंद का समर्थन नहीं करते. राज्य के परिवहन मंत्री सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि उनका विभाग बंद के दौरान सामान्य स्थिति कायम रखने के लिए 2600 और बसें चलाएगा.
उन्होंने कहा कि बंद की अवधि के दौरान अगर कोई वाहन क्षतिग्रस्त होता है तो सरकार मुआवजा देगी. उधर, वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस ने हड़ताल को उचित ठहराते हुए कहा कि नोटबंदी से आम लोगों को परेशानी हो रही है और नोटबंदी के खिलाफ विरोध जताने के लिए हड़ताल का आह्वान आवश्यक है. उन्होंने कहा कि हमने बैंकों, एटीएम, स्वास्थ्य और दूध को हड़ताल के दायरे से अलग रखा है.