कोर्ट ने केजरीवाल सरकार से मांगा जवाब

arvind kejriwal

आम आदमी की पार्टी की रैली में कथित तौर पर फांसी लगा लेने वाले राजस्थान के किसान को ‘शहीद’ का दर्जा दिए जाने के दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल के फैसले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को सरकार से जवाब तलब किया। याचिकाकर्ता वकील ने चुनौती देते हुए कहा कि आत्महत्या एक अपराध है और इसका महिमामंडन नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता वकील ने कैबिनेट के फैसले की एक प्रति अदालत के समक्ष पेश की। फैसले की प्रति पेश किए जाने के बाद मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने दिल्ली सरकारी वकील से पूछा, आपको क्या कहना है? अदालत ने आप को झिड़की भी देते हुए कहा कि कैबिनेट के 28 अप्रैल के फैसले की प्रति भी अदालत को वकील अवध कौशिक ने उपलब्ध करवाई है न कि सरकार ने।

यह घटना 22 अप्रैल को आम आदमी पार्टी की उस रैली के दौरान हुई थी, जिसका आयोजन भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में किया गया था। इस रैली के दौरान राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह कल्याणवंत ने रैली के आयोजन स्थल जंतर मंतर पर एक पेड़ पर फांसी लगा ली थी। दिल्ली सरकार का पक्ष रखते हुए वकील रमन दुग्गल ने कहा कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी और जांच चल रही है। हालांकि अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा कि उसे जो कुछ भी कहना है, शपथपत्र में कहे। इसके साथ ही अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए दो सितंबर की तिथि तय कर दी। बहस के दौरान कौशिक ने दावा किया कि किसान को शहीद का दर्जा देकर उसके द्वारा की गई आत्महत्या को महिमामंडित नहीं किया जा सकता क्योंकि उसने अपराध किया है। अदालत ने गजेन्द्र को शहीद घोषित किए जाने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सरकार से छह मई को जवाब मांगा था। अदालत ने वकील की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में यह भी मांग की गई थी कि अरविंद केजरीवाल की सरकार को किसान की याद में मूर्ति लगाने से रोका जाए।

जनहित याचिका में मांग की गई थी कि सरकार को ‘नेता एवं किसान द्वारा 22 अप्रैल 2015 को जंतर मंतर पर की गई आत्महत्या के कृत्य का महिमामंडन करने, उसे उचित ठहराने, उसका समर्थन करने, इसे प्रचारित करने एवं प्रतिष्ठित करने से रोका जाए।’ अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने दिल्ली सरकार द्वारा किसानों को मुआवजे की योजना कल्याणवत के नाम पर शुरू किए जाने और उसके एक परिजन को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी का वादा किए जाने के कदम पर भी विरोध जताया था।

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