केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों का एलान किया। अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले में 52 लोगों की जान बचाने वाले गुजरात के बस ड्राइवर शेख सलीम गफूर को उत्तम जीवन रक्षा पदक से नवाजा गया है। यह बहादुरी के लिए आम नागरिकों को दिया जाने वाला देश का दूसरा बड़ा पदक है। इसके अलावा 107 पुलिस जवानों को भी वीरता पुरस्कार मिलेगा।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 बहादुर बच्चों को अवॉर्ड दिए। पीएम ने कहा कि 2017 के लिए पुरस्कार हासिल करने वाले ज्यादातर बच्चे गांव से आए हैं। उनका कोई अच्छा बैकग्राउंड नहीं है। ये उनकी लगन का बेहतर उदाहरण है। सभी बहादुर बच्चों, उनके पेरेंट्स और टीचर्स को बधाई देता हूं।
होम मिनिस्ट्री के सीनियर अफसर ने कहा कि 10 जुलाई को आतंकी हमले के वक्त सलीम ने जान की परवाह किए बगैर अदम्य साहस का परिचय दिया। ताबड़तोड़ गोलियों के बीच वह यात्रियों से भरी बस की स्टेयरिंग थामे रहे और 52 लोगों की जान बचा ली। इस हमले में 7 यात्रियों की जान गई और 14 जख्मी हुए थे।
अवॉर्ड के साथ सलीम को सरकार 1 लाख रुपए का ईनाम भी देगी।सलीम ने न्यूज एजेंसी से कहा वीरता पुरस्कार मिल रहा है इसलिए खुश हूं, लेकिन वो घटना मुझे दुखी कर देती है। मैंने सीखा है कि कभी डरो मत। आतंकियों के खिलाफ लड़ रही आर्मी को सैल्यूट करता हूं।
2018 के लिए पुलिस के 107 जवानों को वीरता पुरस्कार मिलेगा। इनमें सबसे ज्यादा 38 जम्मू-कश्मीर पुलिस के हैं। इसके अलावा सीआरपीएफ के 35, छत्तीसगढ़ पुलिस के 10, महाराष्ट्र पुलिस के 7, तेलंगाना पुलिस के 6 जवान भी शामिल हैं। इनमें 5 आईपीएस अफसर हैं।
वीरता पुरस्कार हासिल करने वालों में सबसे ज्यादा जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में शामिल रहे जवानों के नाम हैं। वहीं, नक्सली ऑपरेशन में लगे जवानों को 35 मेडल दिए जाएंगे।देश के 7 पुलिस जवानों को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार मिलेगा।
इनमें छत्तीसगढ़ पुलिस के 6 शामिल हैं, जिन्होंने सुकमा जिले के चिंतागुफा एनकाउंटर में जान गंवाई थी।वहीं, सीआरपीएफ के एएसआई नंद किशोर प्रसाद को भी वीरता पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने 3 जून, 2016 को बीएसएफ की बस पर हुए आतंकी हमले और एनकाउंटर में अदम्य साहस का परिचय दिया था।
बता दें कि इस साल कुल 785 पुलिस मेडल का एलान किया गया है। जिनमें से 616 मेडल विशिष्ट सेवा के लिए हैं।उधर, बच्चों की बहादुरी के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार, भारत अवॉर्ड यूपी की साढ़े सोलह साल की नाजिया को मिला। उन्होंने साहस दिखाते हुए अपने इलाके में चल रहे जुए और नशे के कारोबार को बंद करवा दिया था।
वहीं, कर्नाटक की 14 साल की नेत्रावती एम. चव्हाण ने तालाब में डूबते दो बच्चों की जान बचाने के लिए अपनी जान गंवा दी। उन्हें मरणोपरांत गीता चोपड़ा अवॉर्ड से सम्मान मिला, जबकि नाले में गिरी बस के साथ डूबते 15 बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए पंजाब के करनबीर को संजय चोपड़ा अवॉर्ड दिया गया।