Maggi के बाद टेस्टमेकर के सैम्पल में मिली ज्यादा राख

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मैगी के बाद अब उसका टेस्टमेकर भी जांच में फेल हो गया है। एफडीए की टीम को इसमें ऐश (राख) की मात्रा तय लिमिट से ज्यादा मिली है। लखनऊ स्थित फूड एनालिसिस ने रिपोर्ट में बताया कि मैगी टेस्टमेकर में ऐश की मात्रा 0.88% होनी चाहिए, जबकि जांच के बाद ये मात्रा 1.85% पाई गई है। पिछले साल मैगी के सैम्पल भी बाराबंकी में टेस्ट में फेल पाए गए थे। इसके बाद मैगी पर बैन लगा था।

5 फरवरी 2015 को बाराबंकी की एफडीए टीम ने सफेदाबाद कस्बे में सुधांशु जनरल स्टोर पर छापा मारा और मैगी नूडल्स के टेस्टमेकर के सैम्पल लिए।इसे जांच के लिए लखनऊ के फूड एनालिसिस लैब भेजा गया था। बुधवार को इसकी रिपोर्ट आई।इसके पहले हॉर्लिक्स, चिंग्स और फूडल्स में भी राख मिले हैं।

चिंग्स नूडल्स के टेस्टमेकर में राख की मात्रा 1.83 फीसदी, हॉर्लिक्स फूडल्स में 2.37 फीसदी और नॉर सूपी नूडल्स में 1.89 फीसदी पाई गई है। लिहाजा इन्हें सब-स्टैंडर्ड माना गया है।स्टैंडर्ड से कमतर प्रोडक्ट के इस्तेमाल से सेहत को होने वाले नुकसान के बारे में रिपोर्ट में साफ-साफ कुछ नहीं कहा गया है। इसलिए ये कहा नहीं जा सकता है 
इनके इस्तेमाल से कितना नुकसान होगा?

पिछले साल मई में फूड सेफ्टी डिपोर्टमेंट ने मैगी नूडल्स में लेड (सीसा) और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) की ज्यादा मात्रा पाई थी।जून में एफएसएसएआई ने नुकसानदायक बताते हुए मैगी की बिक्री पर रोक लगा दी गई।मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इसके खिलाफ बांबे हाईकोर्ट गई। कोर्ट ने नवंबर में बिक्री पर रोक हटा दी। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है। उसने बिक्री पर रोक नहीं लगाई है।

चीफ फूड सिक्युरिटी ऑफिसर बाराबंकी मनोज वर्मा ने बताया, “दुकानदार और कंपनी को नोटिस भेजा जाएगा। अगर वो इस जांच से संतुष्ट है तो ठीक है, वरना वो अपने खर्चें पर रेफरल लैब भेज सकते हैं। इसके बाद वहां की रिपोर्ट फाइनल मानी जाएगी।उन्होंने बताया, “अगर ऐसा नहीं होता, तो एडीएम कोर्ट में केस दर्ज कराएंगे। उसके तहत 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। दुकानदार और कंपनी को एक महीने के अंदर नोटिस का जवाब देना है।

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