चुनाव आयोग ने किया लोकसभा चुनावों का ऐलान, 7 चरण में वोट‍िंग, 23 मई को नतीजे

चुनाव आयोग ने लोकसभा और चार राज्यों आंध्र, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया। इस बार लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे। 11 अप्रैल, 18 अप्रैल, 23 अप्रैल, 29 अप्रैल, 6 मई, 12 मई और 19 मई को वोटिंग होगी। 23 मई को नतीजे आएंगे। तीन जून तक नई लोकसभा का गठन हो जाएगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि इस बार लोकसभा चुनाव में कुल 90 करोड़ वोटर होंगे। इनमें 8.4 करोड़ नए मतदाता शामिल हैं। कुल वोटर में से 99.3 के पास वोटर आईडी है। 1.5 करोड़ वोटर 18-19 साल की उम्र के हैं। लोकसभा चुनाव के लिए आज से देशभर में आचार संहिता लागू हो गई है।

चुनाव आयुक्त ने बताया, पिछली बार 9 लाख मतदान केंद्र थे, इस बार 10 लाख पोलिंग बूथ होंगे। पहली बार पूरे देश के सभी बूथों पर वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल होगा। लोकसभा चुनाव के लिए हेल्पलाइन नंबर-1950 होगा। सभी चुनाव अधिकारियों की गाड़ी में जीपीएस होगा।

मोबाइल पर ऐप के जरिए भी आयोग को आचार संहिता के उल्लंघन की जानकारी दी जा सकती है और 100 मिनट के भीतर हमारे अधिकारी को इस पर एक्शन लेना ही होगा। शिकायतकर्ता की निजता का ख्याल रखा जाएगा।

अरोड़ा ने बताया, अगर प्रत्याशी अगर फॉर्म 26 में सभी जानकारियां नहीं भरता तो उसका नामांकन रद्द हो जाएगा। साथ ही बिना पैनकार्ड वाले उम्मीदवारों का नामांकन रद्द होगा। इस बार चुनाव में सोशल मीडिया एक्सपर्ट मीडिया सर्टिफिकेशन और मॉनिटरिंग कमेटी का हिस्सा होंगे।

प्रत्याशियों को सोशल मीडिया अकाउंट और उसपर होने वाले प्रचार में खर्च राशि की जानकारी देनी होगी। चुनावी खर्च में सोशल मीडिया पर होने वाली राशि को भी जोड़ा जाएगा। वोटरों को नाम को लेकर भ्रम न हो इसलिए इस बार ईवीएम में प्रत्याशियों की फोटो भी दिखेगी।

चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में मौजूदा स्थिति को देखते हुए अभी विधानसभा चुनाव न कराने का फैसला किया। वहां आयोग ने 3 पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। इसके अलावा आंध्र, सिक्किम और अरुणाचल में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव के लिए एक चरण में 11 अप्रैल को मतदान होगा।

वहीं, ओडिशा में चार चरणों 11, 18, 23 और 29 अप्रैल को वोटिंग होगी।मोदी ने ट्वीट किया लोकतंत्र का त्योहार चुनाव आ गए। मैं अपने साथी हिंदुस्तानियों से अपील करता हूं कि 2019 के लोकसभा चुनाव को अपनी सक्रिय सहभागिता से सफल बनाएं। मैं उम्मीद करता हूं कि ये चुनाव ऐतिहासिक नतीजे देंगे।मैं पहली बार वोट डालने वालों से रिकॉर्ड संख्या में मतदान की अपील करता हूं।

नरेंद्र मोदी : भाजपा ने 2013 में माेदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था, तब से लोकसभा चुनाव समेत 32 चुनाव हो चुके हैं। हर चुनाव में मोदी ही भाजपा के लिए प्रचार का प्रमुख चेहरा रहे हैं। 

अमित शाह : पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के प्रभारी रहे अमित शाह ने राज्य में एनडीए को 80 में से 73 सीटें दिलवाई थीं। जुलाई 2014 में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। शाह के अध्यक्ष बनने के बाद अब तक 27 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। इनमें से 14 चुनावों में भाजपा को जीत और 13 में हार मिली। 

राहुल गांधी : दिसंबर 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को 2018 के आखिर में कामयाबी मिली जब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया। 20 साल में यह पहला मौका है, जब लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी कांग्रेस का नेतृत्व नहीं करेंगी। राहुल के नेतृत्व में पार्टी का यह पहला लोकसभा चुनाव होगा।

प्रियंका गांधी : राहुल गांधी ने प्रियंका को इसी साल 23 जनवरी को कांग्रेस महासचिव बनाया और पूर्वी उत्तर प्रदेश की 41 लाेकसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी। नेहरू-गांधी परिवार से कांग्रेस में यह 11वीं एंट्री है। इससे पहले प्रियंका सिर्फ अमेठी-रायबरेली में ही प्रचार करती थीं। 

ममता बनर्जी : मोदी विरोधी महागठबंधन को आकार देने की कोशिशों में ममता बनर्जी सबसे प्रमुख चेहरा हैं। 2014 में मोदी लहर के बावजूद बंगाल में ममता की तृणमूल कांग्रेस ने 42 में से 34 सीटें जीती थीं। ममता ने हाल ही में कोलकाता में विपक्ष की बड़ी रैली की थी। इसमें 15 से ज्यादा दलों के नेता शामिल हुए थे। हालांकि, ममता बंगाल में कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार कर चुकी हैं।

मायावतीअखिलेश2014 के लोकसभा चुनाव में सपा सिर्फ 5 सीटों पर जीत पाई थी। वहीं, बसपा का खाता भी नहीं खुला था। लेकिन दोनों पार्टियों का उत्तर प्रदेश में वोट शेयर 20% के आसपास था। 25 साल बाद दोनों दल भाजपा को रोकने के लिए साथ आए हैं। 2014 में भाजपा का उत्तर प्रदेश में वोट शेयर 43% था। ऐसे में मायावती-अखिलेश का साथ आना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।

आंध्र प्रदेश : पिछली बार तेदेपा ने यहां भाजपा के साथ गठबंधन किया था। दोनों दलों ने राज्य की 25 में से 17 सीटें जीती थीं। तेदेपा अब एनडीए से बाहर हो चुकी है। वहीं, जगनमोहन रेड्डी पिछले पांच साल से राज्य में लगातार यात्राएं कर राज्य में अपनी पार्टी वाईएसआरसीपी की पकड़ मजबूत करने की कोशिश में हैं। 

केरलसबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राज्य में सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। कोर्ट के आदेशानुसार सत्ताधारी वाम दल हर उम्र की महिला को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश देने के पक्ष में था, वहीं भाजपा-कांग्रेस ने फैसले का खुलकर विरोध किया था। राज्य में बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन भी हुए। ऐसे में माना जा रहा है कि 20 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में भाजपा पहली बार मुकाबले में दिख रही है। 

तमिलनाडु : राज्य की राजनीति के दो सबसे बड़े चेहरों एम करुणानिधि और जे. जयललिता के निधन के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव है। द्रमुक ने इस बार कांग्रेस और अन्नाद्रमुक ने भाजपा-पीएमके के साथ गठबंधन किया है। पिछली बार राज्य की 39 में से 37 लोकसभा सीटें जीतने वाली अन्नाद्रमुक इस बार सिर्फ 27 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं, द्रमुक ने भी 9 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं।

ओडिशा : 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद यहां भाजपा सिर्फ एक सीट जीत पाई थी। तीन बार से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद ने 21 में से 20 सीटें जीती थीं। मोदी ने यहां दिसंबर और जनवरी में कई दौरे किए हैं। 

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