ताज महल का लैंप स्टैंड गिरा।रॉयल गेट (मुख्य द्वार) की छत से लटके शमादान के गिरने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) अधिकारी मामले को दबाने की कोशिश में जुट गए। ताजमहल के मुख्य द्वार के अंदर छत पर यह विशाल शमादान जंजीर के सहारे लटका हुआ था। लॉर्ड कर्जन द्वारा वर्ष 1909 में लगवाए गए इस शमादान में विद्युत रोशनी की जाती थी। बुधवार शाम करीब पांच बजे अचानक यह कुंडे समेत नीचे आ गिरा। गनीमत रही कि उस वक्त नीचे कोई सैलानी मौजूद नहीं था, जबकि आम तौर पर पर्यटक इसके नीचे खड़े होकर ही ताज के मुख्य मकबरे का का पहला दीदार करते हैं। तेज आवाज से सैलानियों में अफरा-तफरी मच गई।
हादसे की सूचना से अधिकारियों में खलबली मच गई। मीडिया को आता देख अधिकारियों ने शमादान को कपड़े में लपेट कर स्मारक स्थित कार्यालय के एक कमरे में बंद कर दिया। सूत्रों के मुताबिक शमादान और उसके साथ जुड़ी जंजीर की देखभाल को लेकर अनदेखी बरती जा रही थी। पिछले दिनों लंबे समय बाद रॉयल गेट की छत, रोशनदान आदि की सफाई की गई थी। एएसआइ अधिकारियों को शमादान में कोई कमी न होने की बात कह दी गई थी। बाद में अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. भुवन विक्रम ने बताया कि शमादान में कोई आंतरिक कमजोरी रही होगी, इसी कारण यह नीचे गिरा।