मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए शुक्रवार का दिन कुछ निराशा भरा रहा। अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण के अधिकारों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच चल जंग में फिलहाल उपराज्यपाल की ही चलेगी। नियुक्ति और स्थानांतरण में अंतिम फैसला उपराज्यपाल का ही होगा।दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि दिल्ली सरकार अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण के प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजेगी और वह उस पर विचार करेंगे। हाईकोर्ट ने केंद्र की अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगाने से भी इंकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट से भी झटका
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से भी केजरीवाल सरकार को झटका लगा। दिल्ली सरकार हाईकोर्ट की जिस टिप्पणी को आधार बनाकर केंद्र पर निशाना साथ रही थी, उसे सुप्रीम कोर्ट ने फौरी तौर पर की गई टिप्पणी करार दिया है। मालूम हो कि हाई कोर्ट ने गत 25 मई के फैसले में दिल्ली सरकार के अधिकारों में कटौती करने वाली केंद्र की अधिसूचना को संदेहास्पद बताया था।
एसीबी के अधिकार में अभी कटौती नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को अधिकार देने वाले हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगाने से मना कर दिया। गौरतलब है कि 25 मई को दिल्ली हाई कोर्ट की एकलपीठ ने रिश्वतखोरी के आरोप में जेल गए दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि एसीबी को दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों को गिरफ्तार करने का अधिकार है। विवाद इसलिए बढ़ा क्योंकि केंद्र सरकार ने 21 मई को अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि एसीबी को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार नहीं है। ऐसे में केंद्र ने हाई कोर्ट के 25 मई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।
सुप्रीम कोर्ट में यूं चला मामला
सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने न्यायमूर्ति एके सीकरी व न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ के समक्ष हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने केंद्र का पक्ष सुने बगैर ही फैसला दे दिया।इतना ही नहीं, केंद्र की 21 मई की अधिसूचना पर भी टिप्पणी की। जबकि वह मसला उसके सामने था ही नहीं। इसलिए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगनी चाहिए।लेकिन पीठ ने तत्काल रोक आदेश देने से मना करते हुए मांग पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। अब दिल्ली का जवाब आने के बाद ही इस पर सुनवाई होगी। पीठ ने साफ किया कि केंद्र की 21 मई की अधिसूचना को संदेहास्पद बताने वाली हाईकोर्ट की टिप्पणी फौरी है और दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते समय हाईकोर्ट को उस टिप्पणी से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है।
हाई कोर्ट में ऐसे आया मोड़
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा कि दिल्ली सरकार ने याचिका में जिन दो नियुक्तिसंबंधी आदेश की बात कही है, उसे उपराज्यपाल प्रस्ताव के रूप में लें और वे ही अंतिम फैसला करें। केंद्र से छह सप्ताह में हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा कि पहले दिल्ली सहित सभी केंद्र शासित राज्यों में नियुक्ति और तबादले की क्या व्यवस्था थी? कोर्ट ने याचिका पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत बताई। अगली सुनवाई अब 21 अगस्त को।