अरुण जेटली ने एक्साइज ड्यूटी को लेकर राज्य सरकारों से की अपील

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि अगर राज्य पेट्रोल-डीजल पर 5% वैट घटाएं तो इससे कस्टमर्स को फायदा होगा। अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि हमने कस्टमर्स को ध्यान में रखते हुए एक्साइज ड्यूटी कम कर दी, अब ये राज्यों के ऊपर है कि वे वैट घटाते हैं या नहीं। उन्होंने कहा हम राज्यों से अपील करते हैं कि कस्टमर्स के हित में जिस तरह से केंद्र ने जिम्मेदारी ली है, उसी तरह राज्य भी लें।

अगर राज्य 5% वैट घटाते हैं तो दिल्ली में पेट्रोल के दाम में 2.70 रुपए की कमी आएगी। बता दें कि सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली बेसिक एक्साइज ड्यूटी घटा दी है। इससे पेट्रोल और डीजल 2 रुपए प्रति लीटर सस्ते हो गए हैं।तीन दिन के दौरे पर जेटली ढाका पहुंचे। उन्होंने कहा कस्टमर्स को राहत देने के लिए सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटा दी है।

अब ये राज्य सरकारों के ऊपर है कि वे VAT घटाने पर ध्यान देते हैं या नहीं। स्टेट गवर्नमेंट्स को खुद के वैट कलेक्शन को देखना चाहिए, क्योंकि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर कलेक्ट किए जाने वाले टैक्स का बड़ा हिस्सा राज्य सरकारों को जाता है। अपने वैट कलेक्शन के अलावा सेंट्रल ड्यूटी का भी 42% उनके खाते में जाता है।

जेटली से पूछा गया कि क्या बीजेपी शासित राज्य भी वैट मेें कटौती करेंगे? उन्होंने कहा मुझे लगता है कि राज्य अपने फाइनेंसेस मैनेज कर लेंगे और मैं इस बात पर निश्चित हूं कि वे भी अपने लोगों के काफी करीब हैं।धर्मेंद्र प्रधान ने कहा हमने आगे बढ़कर एक्साइज ड्यूटी घटा दी है। अब राज्यों की बारी है कि वो वैट घटाएं। अरुण जेटली इस बारे में जल्द राज्यों को खत लिखेंगे।

प्रधान ने कहा एक्साइज ड्यूटी घटाने से सरकार पर 2600 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा।बता दें कि सरकार ने मंगलवार को एक्साइज ड्यूटी घटाई थी, जिसकी वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में प्रति लीटर 2 रुपए की कमी आ गई।पेट्रोल-डीजल की कीमतें तीन महीने से बढ़ रहीं थीं। 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने पहली बार 3 अक्टूबर को एक्साइज ड्यूटी में कमी की। इसकी वजह से पेट्रोल और डीजल 2 रुपए प्रति लीटर सस्ते हो गए। 

दिल्ली में 3 अक्टूबर को पेट्रोल 70.88 रुपए प्रति लीटर जबकि डीजल 59.14 रुपए प्रति लीटर था। एक्साइज ड्यूटी कम करने से सरकार को एक साल में 26 हजार करोड़ रुपए का घाटा होगा। अगर इस वित्त वर्ष के बचे हुए महीनों (31 मार्च 2018 तक) की बात करें तो यह घाटा 13 हजार करोड़ रुपए होगा।सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई।

जुलाई के बाद से ही पेट्रोल-डीजल के रेट्स बढ़ रहे थे लेकिन सरकार ने जब एक्साइज ड्यूटी नहीं घटाई तो उसकी आलोचना होने लगी।कुल मिलाकर बीते 15 महीने में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 11.77 प्रति लीटर और डीजल पर 13.47 रुपए प्रति लीटर बढ़ाई गई। 2014-15 में इससे सरकार को 99,000 हजार करोड़ रुपए मिले जबकि 2016-17 में यह आंकड़ा 242,000 लाख करोड़ हो गया। 

दिल्ली में 3 अक्टूबर को जो पेट्रोल का रेट था वो अगस्त 2014 के बाद सबसे ज्यादा था। डीजल के रेट सितंबर 2013 के बाद सबसे ज्यादा रहे।भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी ऑयल इम्पोर्ट करता है। सरकार 2002 से ही यह कोशिश कर रही है कि देश में पेट्रो प्रोडक्ट्स के रेट इंटरनेशनल मार्केट के हिसाब से तय किए जाएं।

सरकार के मुताबिक, अमेरिका में हार्वे-इरमा तूफान से क्रूड प्रोडक्शन पर असर पड़ा। इसलिए क्रूड के रेट 15% तक बढ़ गए।हाल के दिनों में इंटरनेशनल मार्केट में पेट्रोल 18% और डीजल 20% महंगा हुआ है।सितंबर में भारतीय बास्केट क्रूड के रेट 171 रुपए प्रति बैरल यानी 5% बढ़ गए हैं।पेट्रोल-डीजल की कीमतें तीन साल में सबसे ज्यादा हो चुकी हैं। पर इस दौरान क्रूड ऑयल का भारतीय बास्केट 46% से ज्यादा सस्ता हो चुका है।अगस्त 2014 में क्रूड 6291.91 रु. बैरल था, जो अब घटकर 3392.90 रु. हो चुका है। एक बैरल 159 लीटर के बराबर होता है।

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