भारतीय थल सेना ने एलएसी पर तैनात की विमानरोधी तोपें

अरुणाचल प्रदेश में भारतीय थल सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ऊंचे पर्वतों पर अच्छी खासी संख्या में उन्नत एल-70 विमान रोधी तोपें तैनात की हैं।वहां सेना की एम-777 होवित्जर और स्वीडिश बोफोर्स तोपें पहले से तैनात हैं।

अधिकारियों ने बताया कि एम-77 अत्यधिक हल्के होवित्जर तोप तैनात किए जाने के कुछ महीनों बाद यह तैनाती की गई है जिसका लक्ष्य पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद चीन के आक्रामक रुख का सामना करने के लिए गोले बरसाने की संपूर्ण शक्ति में इजाफा करना है।

अधिकारियों ने बताया कि उन्नत एल-70 तोपें किसी भी अकस्मात स्थिति से निपटने के लिए सेना के अभियानगत तैयारियों को मजबूत करने के वास्ते उठाए गए कदमों की श्रृंखला के तहत करीब दो महीने पहले तैनात की गई थी।सेना ने वहां अच्छी खासी संख्या में एम-777 होवित्जर तोपें तैनात कर रखी हैं, जो गोलाबारी करने की उसकी शक्ति की रीढ़ की हड्डी है।

भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ इंटिग्रेटिड डिफेंस लोकेशंस (एकीकृत रक्षा स्थान) बनाई हैं, क्योंकि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने क्षेत्र में सैन्य अभ्यास बढ़ाया है।ये इंटिग्रेटिड डिफेंस लोकेशंस एलएसी के विभिन्न स्थानों पर अपने आप में एक तंत्र हैं।

इसमें संपूर्ण संचार, निगरानी, संचालन और रसद प्रणाली शामिल है।यह युद्ध को लेकर सैनिकों के लिए सभी समर्थन प्रणाली के बीच पूर्ण तालमेल के साथ अपने आप में एक संपूर्ण रक्षा तंत्र है। सैन्य हमले के लिए बड़ी तोपों को मिनटों में जुटाया जा सकता है।किसी भी तरह के खतरे या आकस्मिकताओं को विफल करने के लिए पूरे अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के साथ ऐसी इंटिग्रेटिड डिफेंस लोकेशंस बनाई जा रही हैं।

बड़ी तोपों के साथ बल ने उन्नत विंटेज एल-70 एयर डिफेंस गन्स, बोफोर्स और एम-777 हॉवित्जर जैसे सुरक्षा उपकरण तैनात किए हैं।उन्नत विंटेज एल-70 वायु रक्षा तोपों ने उच्च विभेदन इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सेंसर के साथ सभी मौसमों में लक्ष्य प्राप्ति और स्वचालित लक्ष्य ट्रैकिंग क्षमताओं को बढ़ाया है।

यह ड्रोन कम ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले उपकरणों के खिलाफ प्रभावी है, क्योंकि अपग्रेडेड गन स्वचालित रूप से खतरे का पता लगाने के बाद बेहतरीन तरीके से आग उगलने में सक्षम है।भारतीय सेना में कप्तान सरिया अब्बासी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा गन्स समय की अनुमानित अवधि में गोलीबारी और इंगेजमेंट में सक्षम है।

इसे अब सामरिक नियंत्रण रडार और अग्नि नियंत्रण रडार के साथ एकीकृत किया जा सकता है।उन्होंने यह भी कहा कि गोलीबारी की सटीकता को बढ़ाने के लिए गन्स में मजल वेलोसिटी रडार भी है।बीईएल ने करीब 200 एल70 गन्स को 575 करोड़ रुपये में अपग्रेड किया है।सेना के पास लगभग 1,180 गन्स हैं।

इन्हें पहली बार 1960 के दशक के अंत में स्वीडिश कंपनी बोफोर्स एबी से खरीदा गया था और बाद में आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) द्वारा लाइसेंस प्राप्त किया गया था।एलएसी के पार चीनी गतिविधियों में वृद्धि को देखते हुए, भारत ने अपनी रक्षा और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाया है और किसी भी आकस्मिकता को विफल करने के लिए अधिक मशीनों और पुरुषों को भी तैनात किया है।

पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने कहा था इन सभी को ध्यान में रखते हुए, हमने कई कदम उठाए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एलएसी के करीब और साथ ही गहन क्षेत्रों में निगरानी को बढ़ाया जा रहा है। अब हम अपने सभी निगरानी उपकरणों के प्रयासों को समन्वित करके यह काम कर रहे हैं – रणनीतिक स्तर से लेकर सामरिक स्तर तक, जहां हमारे सैनिक वास्तव में एलएसी पर तैनात हैं।

कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि दूसरी मुख्य बात यह है कि सैनिकों की पर्याप्तता पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा हमारे पास पर्याप्त बल हैं, जो किसी भी आकस्मिकता से निपटने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में उपलब्ध हैं और हम ऐसी विभिन्न आकस्मिकताओं पर अभ्यास और पूर्वाभ्यास भी कर रहे हैं, जो ऐसे कुछ क्षेत्रों में हो सकते हैं जहां तैनाती कम होती है।

अधिकारी ने यह भी कहा कि उन्होंने तैनाती को मजबूत किया है, लेकिन इसे बड़े पैमाने पर वहां अमल में लाया गया है, जहां तैनाती कम थी।भारत और चीन एलएसी पर पिछले 17 महीनों से सीमा विवाद में उलझे हुए हैं।

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