दुनियाभर के देशों का करप्शन इंडेक्स जारी हो गया है। इस मामले में भारत दो पायदान फिसलकर 183 देशों में 81वें स्थान पर जा पहुंचा है। 2016 में भारत 79वें नंबर पर था। रैंकिंग के लिए ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने 0 प्वाइंट (सबसे ज्यादा करप्ट) से 100 प्वाइंट (करप्शन बिल्कुल नहीं) के स्केल का इस्तेमाल किया है।
इस तरह 183 देशों में सरकारी संगठनों और कंपनियों में करप्शन का पता लगाया है।भारत को इस बार भी 2016 के बराबर 40 प्वाइंट मिले हैं। जिस देश का जितना ज्यादा स्कोर होता है वह उतना कम करप्ट माना जाता है।बर्लिन स्थित यह एंटी करप्शन निरोधी आर्गनाइजेशन वर्ल्ड बैंक, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और दूसरे ऑर्गनाइजेशन के डाटा के आधार पर दुनियाभर के सरकारी महकमो में करप्शन का एनालिसिस करता है।
ट्रांसपेरेंसी ने भारत को इंडो-पेसिफिक रीजन में करप्शन और प्रेस की आजादी के लिहाज से सबसे कमजोर देशों में शामिल किया है।ऑर्गनाइजेशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फिलीपींस, भारत और मालदीव जैसे देशों में न सिर्फ करप्शन, बल्कि जर्नलिस्ट्स की हत्या के मामले भी ज्यादा हैं।रिपोर्ट के मुताबिक, बीते छह साल में 10 पत्रकारों में से 9 उन देशों में मारे गए हैं, जिन्हें करप्शन इंडेक्स में 45 या इससे कम नंबर मिले हैं। ऐसे देशों की संख्या दो तिहाई से ज्यादा है।