अग्रिम मोर्चे पर और सैनिक नहीं भेजेंगे भारत-चीन

लद्दाख में तनाव कम करने के लिए कई कदमों की घोषणा करते हुए भारत और चीन की सेनाओं ने अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिक न भेजने का निर्णय किया है।भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता के संबंध में भारतीय सेना और चीनी सेना ने मंगलवार देर शाम एक संयुक्त बयान में कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति को स्थिर करने के मुद्दे पर दोनों पक्षों ने गहराई से विचारों का आदान-प्रदान किया और दोनों पक्ष अपने नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति के ईमानदारी से क्रियान्वयन पर सहमत हुए।

पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को समाप्त करने के उद्देश्य से दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच सोमवार को 14 घंटे तक बैठक चली थी।बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष आपस में संपर्क मजबूत करने और गलतफहमी तथा गलत निर्णय से बचने पर सहमत होने के साथ ही अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिक न भेजने एवं जमीनी स्थिति को एकतरफा ढंग से न बदलने पर सहमत हुए।

इसमें कहा गया कि भारतीय और चीनी सेना ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचने को सहमत हुईं जो स्थिति को जटिल बना सकती हैं। इसके साथ ही दोनों पक्ष समस्याओं को उचित ढंग से सुलझाने, सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने पर सहमत हुए। बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द सैन्य कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता करने पर सहमत हुए।

नयी दिल्ली और बीजिंग में एक साथ जारी किये गये समान बयान में इन निर्णयों का एलान किया गया है। भारतीय सेना के बयान के अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति को स्थिर करने के मुद्दे पर दोनों पक्षों ने गहराई से विचारों का अदान-प्रदान किया गया। यह पहली बार है कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को समाप्त करने के उद्देश्य से दोनों देशों की सेनाओं ने स्पष्ट कदमों की घोषणा की है।

मई के टकराव के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने अपने हजारों सैनिकों और हथियारों का नियंत्रण रेखा पर संवेदनशील क्षेत्रों में जमावड़ा लगा दिया है।इस बीच चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि चीन वार्ता के जरिए दूसरों के साथ मतभेद कम करेगा और विवादों को सुलझाएगा। उनका यह बयान लद्दाख गतिरोध के बीच आया है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75 वीं बैठक में शी ने कहा हम वार्ता और संवाद के माध्यम से अन्य के साथ मतभेद घटायेंगे और विवादों को सुलझाते रहेंगे।उन्होंने कहा हम कभी आधिपत्य, विस्तार या प्रभावक्षेत्र बढाने का प्रयास नहीं करेंगे। हमारी मंशा किसी भी देश के साथ शीतयुद्ध या गर्मयुद्ध की नहीं है।उनका यह भाषण पूर्व रिकार्डेड वीडियो संदेश में था।

पंद्रह जून को गलवान घाटी मेंंिहसक झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद लद्दाख में स्थिति बहुत बिगड़ गयी। इसमें चीनी सेना को भी नुकसान हुआ परंतु उसने ब्योरा नहीं दिया। स्थिति तब और बिगड़ी जब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बीते तीन हफ्तों में पैंगोंग झील के दक्षिणी और उत्तरी तट पर भारतीय सैनिकों को धमकाने की कम से कम तीन बार कोशिश की है।

यहां तक कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल में पहली बार हवा में गोलियां चलाई गई हैं।सेामवार की सैन्य स्तर की वार्ता में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने सीमा पर मई की शुरुआत से जारी टकराव को खत्म करने के लिए भारत एवं चीन के बीच 10 सितंबर को हुए पांचसूत्री द्विपक्षीय समझौते के क्रियान्वयन पर विस्तार से विचार-विमर्श किया।

ऐसा समझा जाता है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुए समझौते को निश्चित समय-सीमा में लागू करने पर जोर दिया।सूत्रों ने बताया कि वार्ता का एजेंडा पांच सूत्री समझौते के क्रियान्वयन की निश्चित समयसीमा तय करना था।

समझौते का लक्ष्य तनावपूर्ण गतिरोध को खत्म करना है, जिसके तहत सैनिकों को शीघ्र वापस बुलाना, तनाव बढाने वाली कार्रवाइयों से बचना, सीमा प्रबंधन संबंधी सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बहाली के लिए कदम उठाना जैसे उपाय शामिल हैं।

सैन्य वार्ता के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल में पहली बार विदेश मंत्रालय के किसी वरिष्ठ अधिकारी को शामिल किया गया। विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। वह सीमा विषयक परामर्श एवं समन्वय कार्य पण्राली (डब्ल्यूएमसीसी) की रूपरेखा के तहत चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर राजनयिक वार्ता में शामिल रहे हैं।

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