भारत-बांग्लादेश में हल हुआ भूमि विवाद

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भारत-बांग्लादेश में पहली बार शांति और मित्रता का इरादा लेकर सीमा रेखा में बदलाव होगा। 41 साल पुराने भूमि सीमा समझौते (एलबीए) पर भारत और बांग्लादेश ने शनिवार को मुहर लगा दी। ऐतिहासिक समझौते पर दस्तखत के साथ ही दोनों देशों की 4,096 लंबी सीमा में से विवादास्पद 6.1 किलोमीटर लंबी सीमा के पुनर्निर्धारण पर अमल शुरू होगा। 1974 में हुए द्विपक्षीय समझौते के तहत दोनों देशों के बीच जमीन की अदला-बदली में 111 गांवों की 10,000 एकड़ जमीन बांग्लादेश के हिस्से में जाएगी। वहीं भारत को बांग्लादेश से मात्र 51 गांव मिलेंगे जिसके तहत 500 एकड़ जमीन ही स्वदेश से जुड़ेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले दो दिवसीय बांग्लादेश दौरे के पहले ही दिन शनिवार को ढाका पहुंचकर सीमा विवाद पर सुलह को अमलीजामा पहनाया। मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भूमि सीमा समझौते पर प्रधानमंत्री कार्यालय में हस्ताक्षर किए। इस मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद रहीं।
विदेश सचिव एस. जयशंकर और उनके बांग्लादेशी समकक्ष शाहिदुल हक ने प्रोटोकाल पर दस्तखत किए। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘भूमि सीमा समझौते के अनुमोदन से इतिहास रचा गया है।…इससे हमारी सीमाएं और सुरक्षित होंगी। मोदी ने बांग्लादेश के लिए 2 अरब डालर का पैकेज भी बतौर ऋण घोषित किया। मोदी ने तीस्ता और फेनी नदी जल बंटवारे पर भी जल्द ही राज्यों से सहमति मिलने की उम्मीद जताई।

भूमि सीमा समझौते के अमल में आने से अवैध रूप से बांग्लादेशियों के भारत में घुसने और बसने का मसला हल हो सकेगा। समझौते से भारत के चार सीमावर्ती राज्य असम, मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल प्रभावित हुए हैं। इसके तहत बांग्लादेश में आने वाले 111 भारतीय गांवों में कुरीग्राम जिले के 12 गांव, निलफमारी के 59 गांव और पनहागढ़ के 36 गांव शामिल हैं। इस समझौते के तहत करीब 50 हजार लोगों की नागरिकता का मसला हल हो सकता है। समझौते वाले भारतीय गांवों में करीब 37 हजार लोग बसे हैं जबकि बांग्लादेशी गांवों में 14 हजार लोग हैं। यह ग्रामीण इच्छानुसार नागरिकता चुन सकते हैं।

16 मई 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बांग्लादेशी समकक्ष शेख मुजीबुर्रहमान के बीच हुए समझौैते में विवादित 161 गांवों के भाग्य का फैसला किया गया था। बांग्लादेश की संसद ने इस समझौते का अनुमोदन तत्काल कर दिया था। लेकिन भारत में इसको संसद से मंजूरी मिलने में 41 साल लगे। पिछले माह ही भारतीय संसद में इस समझौते को मंजूरी मिली। समझौते के प्रोटोकाल पर दस्तखत दोनों पक्षों ने 6 सितंबर 2011 को किए थे।

प्रधानमंत्री मोदी और उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना ने कुल 22 समझौतों पर दस्तखत किए। इसमें जल क्षेत्र की सुरक्षा, मानव तस्करी और नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी की रोकथाम भी शामिल है। आतंकियों और नक्सलियों की शरणस्थली माने जाने वाले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने इन समझौतों के तहत अपनी जमीन से आतंकवाद को न पनपने देने का भी आश्वासन दिया। हसीना ने व्यापारिक घाटा कम करने को दो विशेष आर्थिक जोन बनाने पर सहमति जताई।

प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को ही ढाका पहुंचे जहां खुद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रोटोकाल तोड़कर उनका स्वागत किया। उन्हें गार्ड ऑफ आनर से नवाजा गया और 19 तोपों की सलामी दी गई। मोदी बांग्लादेश के संस्थापक और पहले प्रधानमंत्री मुजीबुर्रहमान के स्मारक संग्रहालय बंगबंधु भी गए और उन्हें शृद्धांजलि दी।

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