पिछले साल 26 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण करने के साथ ही देश में जबरदस्त उत्साह, उम्मीद और आकांक्षाओं की एक नई लहर दिखने लगी थी। लेकिन सरकार के एक साल पूरा होते-होते आर्थिक मोर्चे पर सरकार की उपलब्धियों को लेकर लोगों की राय बंटी हुई दिखने लगी है।
सरकार के खाते में कुछ सफलताएं आई हैं लेकिन कई नाकामियां भी हैं, जो आर्थिक रिकवरी की राह मुश्किल बना सकती हैं। हालांकि देश की अर्थव्यवस्था में रिकवरी काफी हद तक वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात पर निर्भर करेगी मगर देश में साहसिक आर्थिक सुधारों से जुड़े कदमों की जरूरत बनी रहेगी।
देश की जीडीपी पिछली तिमाही में 4.5 से बढ़ कर 6.9 फीसदी पर पहुंच गई है। लेकिन विशेषज्ञों को जीडीपी के नए आंकड़ों और इसकी गणना के नए तरीकों की प्रामाणिकता पर संदेह है। खास कर चीन की विकास दर से ज्यादा भारत की विकास दर का दावा करना सरकार को मजाक का पात्र बना रहा है।