गुजरात भूमि विधेयक 2016 को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी

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गुजरात भूमि अधिग्रहण विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। इस विधेयक में तत्कालीन संप्रग सरकार की ओर से लाये गए संबंधित कानून में ‘सार्वजनिक उद्देश्यों’ और ‘औद्योगिक कोरीडोर’ के लिए भूमि अधिग्रहण करने के वास्ते किये गए सामाजिक प्रभाव आकलन और सहमति के प्रमुख प्रावधानों को हटाया गया है।

कानून को स्वतंत्रता दिवस के दिन राज्य में लागू किया जाएगा। इसकी घोषणा आज यहां की गई। विधेयक का कांग्रेस की ओर से कड़ा विरोध किया गया था। कांग्रेस ने इसे ‘किसान विरोधी और उद्योगपति समर्थक’ करार दिया जिसमें सार्वजनिक उद्देश्यों, औद्योगिक कोरीडोर और सार्वजनिक निजी साझेदारी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करने के वास्ते प्रभाव आकलन और सहमति के प्रमुख प्रावधानों को हटाया गया है।

गुजरात के राजस्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह चूडासामा ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और स्थान परिवर्तन (गुजरात संशोधन) विधेयक 2016 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार’ को आठ अगस्त को अपनी सहमति दे दी।

उन्होंने कहा, ‘2013 के संप्रग के भूमि कानून में कई विसंगतियां थीं। हमारा यह नया संशोधित कानून उन विसंगतियों को हटाएगा और इससे राज्य में तेजी से विकास सुगम होगा।’ संशोधित विधेयक को इस वर्ष 31 मार्च को राज्य विधानसभा ने पारित किया था। उसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद नरेन्द्र मोदी की सरकार भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में संशोधन लायी थी।

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