सरकार किसान और मजदूरों की आवाज नहीं दवा सकती है : राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बेंगलुरु में उन पर स्याही फेंके जाने के बाद कहा कि काली स्याही और घातक हमले किसानों और मजदूरों की आवाज को दबा नहीं सकते हैं.कर्नाटक की राजधानी के गांधी भवन में किसान संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान बदमाशों ने टिकैत पर स्याही फेंक दी.

पुलिस ने इस सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इसके बाद आयोजकों और बदमाशों ने एक दूसरे पर प्लास्टिक की कुर्सियों से हमला किया. टिकैत ने इस घटना के लिए स्थानीय पुलिस को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया है कि उन पर हमला भारतीय जनता पार्टी नीत राज्य सरकार की मिलीभगत से किया गया था.

किसान नेता ने देर रात ट्वीट करते हुए लिखा कि काली स्याही और घातक हमले इस देश के किसानों, मजदूरों, दलितों, शोषितों, पिछड़ों और आदिवासियों की आवाज को दबा नहीं सकते हैं. लड़ाई आखिरी सांस तक जारी रहेगी. कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने इन आरोपों को खारिज किया है कि टिकैत को निशाना बनाने वाले लोग भाजपा से थे.

उन्होंने कहा कि हम अधिकारियों के संपर्क में हैं. तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है. मैं इस कृत्य की निंदा करता हूं. संविधान के तहत सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है.

आयोजकों के अनुसार कार्यक्रम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी होना था, जो किसान नेता कोडिहल्ली चंद्रशेखर के खिलाफ एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद संदेह को दूर करने के लिए बुलाया गया था और इसके लिए टिकैत को आमंत्रित किया गया था. बैठक में बदमाश पत्रकार बनकर आए और नोट लेने का नाटक किया.

उनमें से एक टिकैत के सामने माइक्रोफोन को ठीक करने के लिए मंच पर गया और फिर माइक से उन पर हमला करने की कोशिश की. एक अन्य व्यक्ति ने टिकैत पर स्याही फेंकी, जिससे उनकी पगड़ी, चेहरा, सफेद कुर्ता और गले में पहने हुए हरे शॉल पर स्याही के धब्बे लग गए.कांग्रेस आम आदमी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल सहित विपक्षी दलों ने घटना की निंदा की और दोषियों के खिलाफ तत्काल पुलिस कार्रवाई की मांग की.

भाजपा के मुखर आलोचक टिकैत निरस्त किए गए केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के किसानों के प्रदर्शन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं. टिकैत का BKU संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा था, जिसने दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन किया था.

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