अब मदर डेयरी में डिटर्जेंट के साथ रिफाइंड मिलने का मामला सामने आया है। खाद्य विभाग कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी करने में लग गया है। वहीं, कंपनी के एक अधिकारी संदीप घोष ने कहा कि यह दुभाग्यपूर्ण है कि गांव से लिए गए नमूनों को मदर डेयरी का बताया जा रहा है।
अभिहीत अधिकारी रामनरेश यादव ने बताया कि नवंबर 2014 में बाह क्षेत्र में मदर डेयरी के कलेक्शन सेंटर से दूध के दो सैंपल लिए गए थे। इन नमूनों को जांच के लिए लखनऊ की लैब में भेजा गया। परीक्षण में लैब ने दोनों ही नमूनों को अधोमानक (bilow standard) घोषित किया। मदर डेयरी प्रबंधन ने लखनऊ की लैब को चुनौती देते हुए कोलकाता लैब से जांच कराने की मांग की है। उनकी मांग पर दूध की जांच कोलकाता लैब में कराई गई, तो लैब ने परीक्षण में पाया कि दूध का एक सैंपल अधोमानक था और दूसरे में डिटरजेंट की मिलावट थी जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
मदर डेयरी के एक अधिकारी ने कहा है कि पाउच में बेचा जा रहा दूध खराब नहीं है। मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजीटेबल प्राइवेट लिमिटेड के दुग्ध कारोबार के प्रमुख संदीप घोष ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गांव से लिए गए नमूनों को मदर डेयरी का बताया जा रहा है।इसी तरह अमूल दूध का एक सैंपल भी 2014 में लिया गया था। इस सैंपल की जांच लखनऊ की लैब में कराई गई थी, जो फेल हो गया। अमूल का पैकेट बंद दूध अधोमानक पाया गया है।