केजरीवाल व कीर्ति आजाद पर मानहानि का केस करेगा डीडीसीए

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डीडीसीए भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और निलंबित भाजपा सांसद कीर्ति आजाद पर मानहानि का मामला दर्ज करेगा.डीडीसीए ने उसके खिलाफ भ्रष्टाचार के ‘बेबुनियाद’ आरोप लगाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और निलंबित भाजपा सांसद कीर्ति आजाद और अन्य आप कार्यकर्ताओं पर मानहानि का मामला दर्ज करने का फैसला किया. दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) ने आजाद और आप नेताओं के ताजा आरोपों को कड़े शब्दों में खंडन किया और कहा कि इस तरह के बेबुनियाद आरोपों से संघ बदनाम हुआ है.

उधर वित्त मंत्री के खिलाफ अपना अभियान जारी रखते हुए आप ने बुधवार को आरोप लगाया कि वर्ष 2011 में बतौर डीडीसीए अध्यक्ष अरुण जेटली ने एक निजी बैंक के क्रिकेट क्लब की संलिप्तता वाले मामले की जांच बंद करने के लिए तत्कालीन पुलिस आयुक्त पर दबाव डाला था.डीडीसीए के शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कार्यवाहक अध्यक्ष चेतन चौहान ने कहा कि राज्य क्रिकेट संघ के खिलाफ कई ‘झूठे’ आरोप लगाए गए हैं और उसे इस तरह की गलत जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

कोषाध्यक्ष रविंदर मनचंदा ने कहा कि डीडीसीए केजरीवाल, आजाद और संवाददाता सम्मेलन में मौजूद अन्य के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करेगा जिन्होंने डीडीसीए में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए हैं.चौहान ने कहा कि तीन एजेंसियां पहले ही डीडीसीए के खिलाफ मामलों की जांच कर रही है और आप सरकार ने जो नई जांच समिति बिठाई है उसकी कोई जरूरत नहीं है. डीडीसीए ने इन आरोपों का यह कहकर बचाव किया कि इस मामले में कुछ भी गड़बड़ नहीं थी और बैंक ने अपने दावे को पुख्ता करने के लिए जो पत्र दिए थे, क्रिकेट संघ ने उन्हें भी जारी किया.

सिंडिकेट बैंक क्लब के मामले में बात करते हुए खेल सचिव सुनील देव ने कहा कि अध्यक्ष अरुण जेटली ने ये पत्र लिखकर कुछ भी गलत नहीं किया है. इस मामले की विस्तार से जानकारी देते हुए देव ने कहा कि सिंडिकेट ने 2005 में अपनी टीम नहीं उतारने का फैसला किया और उसके एक कर्मचारी भोला शंकर ने तब बैंक से यह अनुमति लेने के लिए संपर्क किया कि क्या वह टीम उतार सकते हैं.

देव ने सिंडिकेट बैंक के पत्र दिखाते हुए कहा, ‘बैंक ने नवम्बर 2005 में अनुमति प्रदान कर दी लेकिन यह साफ कर दिया कि टीम में उन्हें शामिल नहीं किया जाना चाहिए जो कर्मचारी नहीं हों और इसे एक निजी क्लब के रूप में माना जाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘यह मामला अपराध शाखा के पास था और डीडीसीए ने भी अपनी जांच करवाई थी. कुछ भी नहीं पाया गया था. इसलिए ये सभी आरोप आधारहीन हैं.’

चौहान ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कई गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं जैसे कि टीम में चयन के लिए डीडीसीए सदस्यों द्वारा यौन संबंध बनाने की मांग और आयु वर्ग में चयन के लिए पैसों की मांग. उन्होंने कहा, ‘डीडीसीए के खिलाफ लगाए गए ये गंभीर आरोप हैं. आप यूं ही बेबुनियाद आरोप नहीं लगा सकते हैं. हमें सबूत भी चाहिए. यदि इस तरह के आरोप हैं तो हमें इनके बारे में कुछ भी पता नहीं है. हमसे कभी किसी ने कोई शिकायत नहीं की.’

चौहान ने कहा कि बिना किसी सबूत के इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाना और संगठन की छवि खराब करना अनुचित है. उन्होंने कहा, ‘जहां भी गुंजाइश होगी हम मानहानि का मामला दर्ज करेंगे.’ उन्होंने इसके साथ ही कहा कि आप सरकार ने डीडीसीए कामकाज में जांच के लिये पूर्व सोलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रहमण्यम को नियुक्त किया है और यह हितों का टकराव है. उन्होंने कहा, ‘वह दिल्ली सरकार के कानूनी सलाहकार हैं और फीस लेते हैं. वह जांच कैसे कर सकते हैं.’

उधर आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त बीके गुप्ता और तत्कालीन विशेष आयुक्त रंजीत नारायण को कथित रूप से जेटली द्वारा लिखे दो पत्रों को जारी किया. यह दावा किया गया है कि इन पत्रों में जेटली ने दोनों अधिकारियों से अपील की थी कि वे मामले को सही से देखें और उसको बंद कर दें, क्योंकि डीडीसीए ने कुछ गलत नहीं किया था. ताजा खुलासे के बाद पार्टी ने जेटली के इस्तीफे की अपनी मांग दोहराई है. कथित रूप से गुप्ता को लिखा गया पत्र 27 अक्टूबर 2011 का और नारायण को लिखा पत्र पांच मई 2012 का है.

वरिष्ठ आप नेता आशुतोष ने दावा किया कि इन पत्रों ने वित्त मंत्री द्वारा बार-बार किए गए इन दावों की हवा निकाल दी है कि उनका दिल्ली और जिला क्रिकेट ऐसोसिएशन में किसी भी गलत काम से कोई संबंध नहीं है जिसकी उन्होंने 1999 से 2013 के बीच कमान संभाली थी. आशुतोष ने सवाल किया, ‘क्या जेटली इस बात से इनकार कर सकते हैं कि एक मामले की जारी जांच में उनकी कार्रवाई सीधे पुलिस जांच में हस्तक्षेप करने की नहीं थी? किस आधार पर उन्होंने यह नतीजा निकाला कि शिकायतें निराधार थीं और उसमें कोई अपराध शामिल नहीं था.’ आप ने इस बात पर जोर दिया कि उस अवधि में जेटली राज्यसभा में विपक्ष के नेता पद पर थे, जिसका सीधा मतलब यह है कि उन्होंने जांच को प्रभावित करने का प्रयास कर एक संवैधानिक पद का दुरुपयोग किया.

नारायण को लिखे पत्र में जेटली को यह लिखते हुए उद्धृत किया गया है कि कुछ लोग सिंडिकेट बैंक क्रिकेट क्लब की पहचान के संबंध में शिकायतें लेकर दिल्ली पुलिस के पास बार-बार जा रहे हैं. ये शिकायतें पूरी तरह निराधार हैं और इससे किसी अपराध का खुलासा नहीं होता. इस संबंध में बार-बार सवाल करने से डीडीसीए के कुछ पदाधिकारी परेशानी महसूस कर रहे हैं. मैं आपसे अपील करूंगा कि इस मामले को देखें, ताकि इससे सही तरीके से निपटा जा सके और इसे बंद कर दें क्योंकि डीडीसीए ने कुछ गलत नहीं किया है.

गुप्ता को लिखे कथित पत्र में जेटली ने कहा था कि पूरा विवाद इस तथ्य पर आधारित है कि सिंडिकेट बैंक के क्रिकेट क्लब को निजी क्लब में तब्दील कर दिया गया. ‘बात यह है कि दो नवम्बर 2005 को बैंक ने खुद क्लब का प्रबंधन देखने वाले भोला शंकर को लिखा था कि क्लब अब उनके द्वारा चलाया जाएगा और यह एक निजी क्लब होगा. इसके बाद बैंक ने अपना रुख बदल लिया और भोला शंकर भी क्लब को वापस बैंक के हवाले करने को राजी हो गए हैं.’

पत्र के अनुसार, ‘डीडीसीए भी चाहता है कि क्लब का प्रबंधन फिर से खुद बैंक देखे, लेकिन बैंक की ओर से कोई खास रुचि नहीं दिखाई जा रही है. लेकिन, कुछ लोग जो बैंक के कर्मचारी नहीं हैं या किसी भी तरह से बैंक या क्लब से नहीं जुड़े हैं वे इस मामले में कुछ शिकायतें कर रहे हैं.’ जेटली ने गुप्ता से अपील की थी कि वह इस मुद्दे को देखें और सुनिश्चित करें कि मामले से सही तरीके से निपटा जाए और इसे बंद कर दें क्योंकि डीडीसीए ने कुछ गलत नहीं किया है.भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने सवाल किया कि जेटली द्वारा पुलिस आयुक्त को पत्र लिखने में क्या गलत है. उन्होंने कहा कि वह सत्ता में नहीं थे, इसलिए आरोपों में कोई दम नहीं है. 

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