सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह उनके सहकर्मियों को ‘सांप्रदायिक ध्रुवीकरण’ के लिए ‘भय और दबाव’ का माहौल उत्पन्न करने की अनुमति देकर ‘खतरनाक दोहरा खेल’ खेल रही है। उन्होंने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वह कल्याणकारी राज्य संरचना को ध्वस्त करने के ‘सुनियोजित प्रयास’ कर रही है। सोनिया ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे भूमि विधेयक और खाद्य सुरक्षा कानून पर सरकार के कदमों का ‘मजबूती से विरोध’ करें। एक तरफ प्रधानमंत्री खुद को सुशासन और संवैधानिक मूल्यों के बड़े पैरोकार के रूप में पेश करना चाहते हैं, वहीं दूसरी तरफ वह अपने कई सहकर्मियों को घृणास्पद बयानों और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की अनुमति देते हैं। कांग्रेस मुख्यमंत्रियों के एक दिवसीय सम्मेलन, जो पिछले साल लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद पहला सम्मेलन है, के अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने कहा कि यह पहले ही हमारे धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को नष्ट कर चुका है। डर और दबाव का माहौल जानबूझकर उत्पन्न किया गया है।
सोनिया ने कहा कि वास्तविकता और शैली दोनों का एक और पहलू है जिसका मुझे उल्लेख करना चाहिए तथा यह खेले जा रहे खतरनाक दोहरे खेल से संबंधित है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता के संदर्भ में, कांग्रेस सरकारों द्वारा दशकों में निर्मित कल्याणकारी राज्य संरचना को ध्वस्त किए जाने के सुनियोजित प्रयास किए जा रहे हैं।सोनिया ने सत्ता के ‘अभूतपूर्व केंद्रीकरण’ के लिए मोदी पर हमला बोला और कहा कि सरकार की ‘वास्तविकता और शैली’ दोनों ‘बड़ी चिंता’ का कारण है। उन्होंने प्रधानमंत्री को निशाना बनाते हुए कहा कि सत्ता और प्राधिकार का अभूतपूर्व केंद्रीकरण, संसदीय प्रक्रिया एवं नियमों को धता बताना, नागरिक समाज को उत्पन्न खतरा और न्यायपालिका को चेतावनी, यही मोदी शासन की विशेषताएं हैं।
सोनिया ने सम्मेलन में कहा कि नई सरकार ने एक साल से कुछ समय पहले ही केंद्र की कमान संभाली है । इसकी वास्तविकता और शैली-दोनों सभी को प्रत्यक्ष हैं। दोनों बड़ी चिंता का कारण हैं। उनसे कई परेशान करने वाले सवाल खड़े होते हैं। इन सबसे हमें ठहरना, सोचना और उचित जवाब देना चाहिए। उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित लोगों को 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी के ‘पूर्ण परिवर्तन’ के बारे में बताया और कहा कि ‘उनका मजबूती से विरोध किया जाना चाहिए।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह चिंताजनक है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत कवरेज को 67 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत किया जाना प्रस्तावित है और एमएसपी सहित खाद्य खरीद की समूची प्रणाली ‘खतरे में’ है।