महिला उद्योगपति प्रीति महापात्रा ने निर्दलीय राज्यसभा प्रत्याशी के तौर पर नामांकन कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है.उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. दरअसल चुनाव में गुजरात की रहने वाली प्रीति महापात्रा ने नॉमिनेशन कर खलबली मचा दी.इससे पहले सभी पार्टियों के कैंडिडेट्स अपना निर्विरोध चुना जाना तय मान रहे थे. लेकिन प्रीति के मैदान में कूदने की वजह से मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
अब 5 जून तक यदि किसी एक उम्मीदवार ने नाम वापस नहीं लिया तो 11 जून को वोटिंग के जरिए राज्यसभा उम्मीदवारों का चुनाव होगा.
कांग्रेस-सपा के कैंडिडेट कपिल सिब्बल को जीत के लिए बाहर के वोटों की जरूरत थी. अब कांग्रेस के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है. प्रीति इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर खड़ी हुई हैं. लेकिन बीजेपी के 10 विधायक उनके प्रस्तावक बने हैं.विधानसभा में प्रीति महापात्रा का प्रस्तावक बनने की विधायकों में होड़ सी लग गई.
अपना दल के आरके वर्मा, रामपाल यादव, निर्दलीय विधायक फतेह बहादुर सिंह, बीजेपी विधायक सलिल विश्नोई, बावन सिंह, बीजेपी विधायक उपेंद्र तिवारी, आशुतोष टंडन, बीजेपी विधायक कपिल देव, विधायक बाला प्रसाद अवस्थी, कृष्णा पासवान प्रस्तावक बने.राज्यसभा के लिए सपा के 7, बसपा के 2, कांग्रेस का 1 उम्मीदवार मैदान में थे. उम्मीद थी कि बीजेपी भी एक उम्मीदवार उतारेगी और ये सभी निर्विरोध रूप से माननीय बन जाएंगे. लेकिन प्रीति की एंट्री ने उलटफेर कर दिया.
गौरतलब है कि यूपी में जीत के लिए एक राज्यसभा सदस्य को कम से कम 34 विधायकों के वोट चाहिए. इस लिहाज से सपा को 12 और कांग्रेस को 5 एक्स्ट्रा वोट चाहिए.बीजेपी के पास एक्स्ट्रा वोट थे, जो प्रीति को मिल गए. प्रीति को मिलाकर अब तक 12 कैंडिडेट नॉमिनेशन फाइल कर चुके हैं. यूपी में सपा के पास 224 एमएलए हैं. इनके बलबूते 6 लोगों को राज्यसभा भेजा जा सकता है.प्रीति महापात्रा गुजरात के बड़े बिजनेसमैन हरिहर महापात्रा की पत्नी हैं. वह कृष्णलीला फाउंडेशन नाम की एक गैरसरकारी संस्था भी चलाती हैं और खुद भी बिजनेस करती हैं.