सरकार मनोनीत एमएलसी तो चाहती है, लेकिन एमएलसी के लिए भेजे गए नामों के रिपोर्ट कार्ड की जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं है। फ्रांस दौरे से लौटने के बाद पुरानी सूची के साथ सीएम की तरफ से जो शपथ पत्र दिए गए हैं, वो प्रत्याशियों की तरफ से दिए गए हैं न कि सरकार की तरफ से। ऐसे में इन सदस्यों को नामित करने से पहले राजभवन हर बिंदुओं पर विचार-विमर्श करने के साथ ही कानूनी राय भी ले रहा है।
एमएलसी की सूची फाइनल करने से पहले राजभवन की पूरी कोशिश है कि कोई भी ऐसा फैसला न हो, जिससे आम जनता में गलत संदेश जाए। दरअसल एमएलसी के लिए जो सूची सरकार की तरफ से पहले राजभवन को भेजी गई थी, उसमें शामिल नामों को लेकर राजभवन ने तीन बिन्दुओं पर सरकार से जवाब मांगा था। इन बिंदुओं में सबसे पहले मनोनयन नामों में कितने नाम लेखन, साहित्य, कला, संस्कृति की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं।
दूसरे सवाल में कितने ऐसे नाम हैं जिन पर मुकदमें या अपराधिक केस चल रहे हैं। साथ ही किसी को पहले कोर्ट से सजा तो नहीं हुई है। तीसरे सवाल में सूची में कितने ऐसे नाम है, जिन्होंने बैंक से लोन लिया है और उनको डिफाल्टर घोषित कर किया गया है। इन तीन बिंदुओं को लेकर जानकारी मांगी गई थी। सूची में शामिल सदस्यों के नामों का कुछ लोगों ने विरोध करते हुए राजभवन को प्रत्यावेदन सौंपे हैं। इन प्रत्यावेदनों के आधार पर ही राजभवन ने सरकार से जवाब मांगे थे।