पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी पिछले नौ साल से बीमार हैं। राजनीति की आत्मा की रोशनी जैसे घर में ही कैद। जीवित हैं, लेकिन नहीं जैसे। किसी से बात नहीं करते। जिनका भाषण सुनने विरोधी भी चुपके से सभा में जाते थे, उसी सरस्वती पुत्र ने मौन ओढ़ लिया। इतने सालों से बीमार हैं पर लंबे समय बाद एम्स में भर्ती होने की खबर आई।
देश कांप उठा। मानो कह रहा हो- ईश्वर उन्हें लंबी उम्र दे।केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने कहा कि वाजपेयीजी का मेडिकल बुलेटिन जारी हो गया है। उन्हें यूरिन इन्फेक्शन की वजह से यहां लाया गया। मुझे पूरे विश्वास है कि वे मंगलवार सुबह तक घर चले जाएंगे। इससे पहले हर्षवर्धन ने कहा कहा- चिंता की कोई बात नहीं है, अटलजी ठीक हैं।
93 साल के वाजपेयी एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया की निगरानी में हैं। डॉ. गुलेरिया ने भी कहा कि वाजपेयीजी की हालत स्थिर है।वाजपेयीजी को देखने सबसे पहले राहुल पहुंचे। इसके बाद अमित शाह आए। देर शाम नरेंद्र मोदी अटलजी का हाल जानने एम्स पहुंचे। वे करीब 50 मिनट तक यहां रुके।
इनके अलावा गृह मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, विजय गोयल, हर्षवर्धन भी आए। बाद में लालकृष्ण आडवाणी भी एम्स पहुंचे। करीब छह दशक से उनका-वाजपेयी का साथ रहा।अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर आखिरी बार 2015 में सामने आई थी।
तब तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वाजपेयी को घर जाकर भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था।वाजपेयी 3 बार प्रधानमंत्री बने। सबसे पहले वे 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। दूसरी बार वे 1998 में प्रधानमंत्री बने।
सहयोगी पार्टियों के समर्थन वापस लेने की वजह से 13 महीने बाद 1999 में फिर आम चुनाव हुए। 13 अक्टूबर 1999 को वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 2004 तक अपना कार्यकाल पूरा किया।अटल बिहारी वाजपेयी ने 2005 में मुंबई में एक रैली में ऐलान कर दिया कि वे सक्रिय राजनीति से संन्यास ले रहे हैं और लालकृष्ण अाडवाणी और प्रमोद महाजन को बागडोर सौंप रहे हैं।
उस वक्त प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि वाजपेयी मौजूदा राजनीति के भीष्म पितामह हैं।2009 में वाजपेयी की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें सांस लेने में दिक्कत के बाद कई दिन वेंटिलेटर पर रखा गया। हालांकि, बाद में वे ठीक हो गए और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।बाद में कहा गया कि वाजपेयी लकवे के शिकार हैं।
इस वजह से वे किसी से बोलते नहीं हैं। बाद में उन्हें स्मृति लोप भी हो गया। उन्होंने लोगों को पहचानना भी बंद कर दिया।वाजपेयी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्मे। वे मूलत: कवि हैं और शिक्षक भी रह चुके हैं।1951 में जनसंघ की स्थापना हुई और अटलजी ने चुनावी राजनीति में प्रवेश किया।
1975-77 के आपातकाल के दौरान वे गिरफ्तार किए गए।1977 के बाद जनता पार्टी की मोरारजी देसाई की सरकार में वे विदेश मंत्री भी रहे।1980 में उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी।1996, 1998 और 1999 में वे प्रधानमंत्री बने।