अर्पिता ने अपने घरों से जब्त की गई नकदी को पार्थ का बताया : प्रवर्तन निदेशालय

पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग से जुड़े शिक्षक भर्ती घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने दायर अपनी पहली चार्जशीट में दावा किया है कि आरोपी अर्पिता मुखर्जी ने एजेंसी के सामने कबूल किया है कि जो नकदी और सोना जुलाई में उनके दो आवास से बरामद हुआ था, वह वास्तव में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के थे।

चटर्जी मामले के मुख्य आरोपी है।सूत्रों के अनुसार ईडी की चार्जशीट में उल्लेख किया गया है कि जब उनसे 4 अगस्त को पूछताछ के दौरान 49.80 करोड़ रुपये की जब्त नकदी और 5 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के सोने के वास्तविक स्वामित्व के बारे में पूछा गया, तो अर्पिता ने स्वीकार किया था कि अब तक उन्होंने बार-बार जब्त नकदी और सोने के असली मालिक का खुलासा करने से इसलिए इनकार किया था उसे अपनी और अपनी मां की सुरक्षा का डर था।

सूत्र ने आरोपपत्र के हवाले से कहा अर्पिता मुखर्जी ने तब कहा कि उनके दो आवासों से 49.80 करोड़ रुपये की नकदी और 5 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के सोने/आभूषण पार्थ चटर्जी के हैं। उसने अपने प्रकटीकरण को कानून के प्रावधानों के तहत उदार दृष्टिकोण रखने के लिए एक याचिका के रूप में मानने के लिए एक आवेदन भी दायर किया।

ईडी ने चार्जशीट में यह भी कहा कि अर्पिता की 31 जीवन बीमा पॉलिसियों की वार्षिक प्रीमियम राशि, जिनमें से अधिकांश में पार्थ चटर्जी नामित हैं, की राशि 1.5 करोड़ रुपये है।इन सभी पॉलिसियों के लिए वार्षिक प्रीमियम भुगतान, जिसमें पार्थ चटर्जी को अर्पिता का ‘चाचा’ कहा जाता था, चटर्जी के बैंक खातों से किए गए थे।

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