बुलंदशहर बलात्कार कांड की सीबीआई जांच के आदेश

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुलंदशहर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर मां-बेटी के साथ हुए सामुहिक बलात्कार कांड की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए हैं.न्यायालय इस मामले में सरकार की ओर से अभी तक की जाँच से संन्तुष्ट नहीं है. न्यायालय ने कहा है कि यदि पुलिस ने गत मई माह में उसी राष्ट्रीय राजमार्ग में पर हुई एक अन्य घटना को गम्भीरता से लेकर ठोस कदम उठाया होता तो माँ- बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार जैसी यह शर्मनाक घटना न हुई होती.

बुलंदशहर राष्ट्रीय राजमार्ग सामूहिक बलात्कार मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश दिया.गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजमार्ग-91 पर गत 30 जुलाई के तड़के बावरिया गिरोह के सदस्यों ने नोएडा से बदायूं जा रहे कार सवार लोगों के साथ लूटपाट की और बदमाशों ने मां-बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया.
पीड़ितों को तत्काल पुलिस सहायता नहीं मिली. मुख्यालय फोन करने पर पुलिस हरकत में आयी. पुलिस पर घटना को दबाने का भी आरोप लगा.अखबारों में छपी खबरों को स्वत: संज्ञान में लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भोसले ने जनहित याचिका पर राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा उपायों की मानीटरिंग करने का आदेश देते हुए घटना की विवेचना की स्थिति की एसपी से रिपोर्ट मांगी थी. सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट को न्यायालय ने हलफनामे के मार्फत पेश करने का पुलिस को आदेश दिया था.
        
न्यायालय ने इन तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए राजमार्ग-91 पर पिछले एक साल में घटी लूट और रेप की घटनाओं तथा उस पर हुई कार्रवाई  रिपोर्ट मांगी थी. न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार द्वारा इसे रोकने के लिये क्या प्रयास किये जा रहे है.न्यायालय ने कहा कि इलाहाबाद के हण्डिया के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर दुराचार की खबर अखबार में छपी है. पुलिस ने इस घटना पर क्या कार्रवाई की है इसकी जानकारी पेश की जाय. मामले की सुनवाई 17 अगस्त को होगी.
        
अपर महाधिवक्ता इमरानुल्ला खां एवं शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह ने राष्ट्रीय राजमार्ग-91 पर हुए दुराचार मामले की विवेचना रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की थी. साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर घटी अन्य बलात्कार की घटनाओें के संबंध में पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने एक हलफनामा भी दायर किया जिसमें बताया कि घटना की प्राथमिकी दर्ज की गयी है और आरोपी की तलाश की जा रही है.
         
पुलिस का कहना है कि 30 जुलाई से पहले बुलंदशहर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर घटी घटना लिव इन रिलेशन को लेकर थे और दुराचार का आरोप लगाया है. न्यायालय ने जानना चाहा कि इसमें चोटों की रिपोर्ट है लेकिन दुराचार की मेडिकल रिपोर्ट दी जाए.न्यायालय ने बुलंदशहर में ही गत सात मई और 12 मई की लूट और दुराचार की घटना पर आरोपियों की गिरफ्तारी करने के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी मांगी है.
न्यायालय ने कहा कि इस घटना की खबर अखबारों में पुलिस सूत्र से छपी है और पुलिस ने कार्रवाई नहीं की है. खबर छपने के बाद प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करना क्या सही है.न्यायालय ने कहा एक के बाद एक महिला अपराधों की घटनाएं हो रही हैं. पुलिस सुरक्षा देने में विफल है. अपर महाधिवक्ता ने कहा कि घटना के बाद बुलंदशहर के कई अधिकारियों का तबादला कर दिया गया. घटना शर्मनाक है.
सरकार सीबीआई से जांच के खिलाफ नहीं है लेकिन पुलिस सही तरीके से विवेचना कर रही है.सीबीआई से जांच कराने के बावत पूछे जाने पर महाधिवक्ता ने कहा था कि सरकार को सीबीआई जांच से परहेज नहीं है लेकिन इस जांच से जनता में यह संदेश जाता है कि प्रदेश सरकार की जांच एजेंसी पर भरोसा नहीं है.

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