पंजाब से अलग विरोध प्रदर्शन करे आंदोलनकारी किसान : अमरिंदर सिंह

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों से तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ राज्य भर में विरोध प्रदर्शन नहीं करने की अपील की, क्योंकि राज्य और इसके लोगों ने पहले ही इस मुद्दे पर उनके साथ एकजुटता व्यक्त की है।

चब्बेवाल विधानसभा क्षेत्र के मुखलियाना गांव में 13.44 करोड़ रुपये की लागत से सरकारी कॉलेज की आधारशिला रखने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जिस राज्य की जनता जायज मुद्दों के पक्ष में उनके साथ चट्टान की तरह खड़ी हो, उन्हें भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा पारित इन काले कृषि कानूनों के खिलाफ राज्य भर में विरोध प्रदर्शन करने से बचना चाहिए।

अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसानों द्वारा पंजाब में 113 स्थानों पर चल रहे ये विरोध प्रदर्शन राज्य के हित में बिल्कुल भी नहीं हैं, जिसने इसके आर्थिक विकास को काफी प्रभावित किया है और उम्मीद है कि आंदोलन पर किसानों द्वारा उनके अनुरोध को स्वीकार किया जाएगा।

हालांकि उन्होंने कहा कि चूंकि इन कानूनों को पहले ही राज्य विधानसभा द्वारा खारिज कर दिया गया है और राज्य के अपने कृषि कानूनों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, जिन्हें राज्यपाल की सहमति के लिए भेजा गया था।

इसके साथ ही सिंह ने अफसोस जताते हुए कहा कि हमारी निराशा इसलिए बनी हुई है, क्योंकि अभी तक इसे राष्ट्रपति को नहीं भेजा गया है।अमरिंदर सिंह ने कहा कि जो भी उनके दायरे में होता है, उस काम को उनकी सरकार तुरंत प्रभाव से कर देती है।

सिंह ने उदाहरण पेश करते हुए कहा कि इन किसान यूनियनों के विभिन्न नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में चंडीगढ़ में उनसे मुलाकात की थी, ताकि गन्ने की कीमत 325 रुपये से बढ़ाकर 360 रुपये प्रति क्विंटल की जा सके। किसानों की यह मांग उनके द्वारा एक बार में स्वीकार कर ली गई।

मुख्यमंत्री ने केंद्र की उदासीनता के कारण किसानों की जायज मांगों को पूरा करने में अत्यधिक देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में विरोध प्रदर्शन करने के बजाय, उन्हें इन किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए।उन्होंने इस आगामी सरकारी कॉलेज का नाम संविधान निर्माता डॉ. बी. आर. अंबेडकर के नाम पर रखने की भी घोषणा की।

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