मिजोरम में अफ्रीकी स्वाइन फीवर बीमारी ने करीब 25,260 सुअरों की जान ली

मिजोरम में अफ्रीकी स्वाइन फीवर के प्रकोप ने पूर्वोत्तर राज्य के सभी 11 जिलों में करीब 25,260 सुअरों की जान ले ली है. राज्य के पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि एएफएस की वजह से अब तक 121 करोड़ रुपये से ज्यादा का वित्तीय नुकसान हुआ है.

संक्रामक बीमारी को देखते हुए अब तक 9,460 से ज्यादा सुअरों को मार दिया गया है, ताकि स्वस्थ सुअरों में इस बीमारी को और फैलने से रोका जा सके. एक अधिकारी ने बताया कि मार्च के मध्य में दक्षिण मिजोरम के लुंगलेई जिले के लुंगसेन गांव में पहली बार सुअर की मौत का पता चला था.

ग्रामीणों ने बताया था कि सूअर बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए थे.मरे हुए सुअरों के सैंपल जब भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज में भेजे गए तो इस बात की पुष्टि हुई कि सुअरों की मौत एएसएफ की वजह से हुई है.

विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, राज्यभर के सभी 11 जिलों के कम से कम 239 गांवों में एएसएफ के प्रकोप की जानकारी सामने आई है.अधिकारियों ने कहा कि 11 जिलों में से आइजोल सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां लगभग 10,780 सूअर मारे गए हैं, इसके बाद लुंगलेई में 4,135, सेरछिप में 3,500 और ममित में 2,880 सुअरों की मौत हुई है.

विशेषज्ञों के अनुसार, इसका प्रकोप पड़ोसी देश म्यांमार, बांग्लादेश और इससे सटे राज्य मेघालय से इंपोर्टेड सूअर या सूअर के मांस के कारण हुआ होगा.पूर्वोत्तर क्षेत्र का वार्षिक पोर्क (मांस) कारोबार लगभग 8,000-10,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें असम सबसे बड़ा सप्लायर है. सूअर का मांस इस क्षेत्र के आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच काफी पसंदीदा मांस में से एक है.

एएसएफ का पहली बार 1921 में केन्या में पता चला था. कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक, इंसान एएसएफ से संक्रमित नहीं होते, हालांकि वे वायरस के कैरियर हो सकते हैं. आज तक इस वायरस के खिलाफ कोई वैक्सीन तैयार नहीं हो पाई है. लगभग हर साल पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न राज्यों में जानवरों, ज्यादातर पशुधन में एएसएफ और मुंह-खुर की बीमारी सहित कई तरह की बीमारियों का प्रकोप होता है.

पूर्वोत्तर राज्यों ने लोगों, विशेषकर सुअर पालन करने वालों से कहा है कि वे अन्य राज्यों और पड़ोसी देशों, विशेष रूप से म्यांमार से सूअर और सूअर का मांस लाने से परहेज करें ताकि इस वायरस के असर को कंट्रोल किया जा सके.

Check Also

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को दिया एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 तक एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *