आसान नहीं है निष्पक्ष पत्रकारिता – पीनाज त्यागी

पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जहां अगर आपको कुछ मुकाम हासिल करना है तो आपमें वो काबिलियत होनी चाहिए जो आपको दूसरों से अलग करती है। कुछ करने की ललक, लोगों तक सच्चाई को पहुंचाने की ललक, निष्पक्षता के साथ अपनी बात रखने की ललक, निडरता के साथ हर खबर की कवरेज करना, यह सब वह विशेषताएं है जो आपको सही मायनों में पत्रकार बनाता है। ऐसी ही निर्भिक, निडर और निष्पक्ष पत्रकार हैं पीनाज त्यागी।

पत्रकारिता के क्षेत्र में एक जाना माना नाम है पीनाज त्यागी, जिन्होंने अपनी पत्रकारिता शैली के कारण नामचीन एंकरों, पत्रकारों में अपना नाम शुमार कर लिया है। 16 वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली पीनाज वर्तमान समय में न्यूज नेशन में एंकर एवं संपादक के पद पर कार्यरत हैं।

उत्तर प्रदेश के एक शहर में मध्यम वर्गीय परिवार में पीनाज का जन्म 23 दिसंबर, 1983 को हुआ। शुरू से ही हर कार्य में अव्वल रहने वाली पीनाज को बच्चपन से ही पत्रकारिता में कुछ कर दिखाने का जुनून था। टीवी चैनलों पर आने वाले एंकरों को देखकर वह उनके जैसा बनने के सपने देखा करती थी। लेकिन सफल वही व्यक्ति होता है जो अपने सपनों को जमीनी हकीकत दिखा सके और यही कार्य किया पीनाज ने। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में ग्रहण की।

प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने पत्रकारिता में 3 साल की डिग्री हासिल की और उसके बाद डिजास्टर मैनजमेंट में एमबीए किया और पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना कैरियर शुरू किया। अपने बेबाक जवाबों के लिए मशहूर पीनाज ने अपने सपनों को कुछ ही समय में पूर्ण किया।

एक सफल एंकर, निडर पत्रकार, बेबाक सवालों के लिए मशहूर पीनाज किसी भी परिचय की मोहताज नहीं हैं। लेकिन कहते हैं ना की सफल वही होता है जो मेहनत करता है, अपने इस मुकाम पर पहुचंने के लिए पीनाज ने भी कड़ी मेहनत की है जिसका परिणाम सबके सामने है। 

अपने बुलंद हौसलो के साथ उन्होंने अपने कैरियर की शुरूआत एक ट्रेनी के रूप में समाचार के लिए बुलेटिन लिखने से की। वह ज़ी फॉलो अप पर नियमित फ़ीड और समाचार के लिए हाल के दिनों में महत्वपूर्ण घटनाओं को देखती थी। वह मुंबई में ब्यूरो के सभी फीचर शो के लिए दिल्ली में अलग-अलग कहानियों के लिए उन्होंने समन्वय और साक्षात्कार आयोजित करने में सहायता करती थी।

मेहनत अपना फल जरूर देती हैं, पीनाज को अपनी मेहनत का फल मिला और वह एक संवाददाता और एंकर के रूप में ज़ी  बिज़नेस में शामिल हुईं। उन्होंने सुबह के शो “गुड मॉर्निंग इंडिया” की मेजबानी की और सक्रिय रूप से विभिन्न बुलेटिन और लाइव स्टॉक मार्केट शो जैसे कि आपा बाजार और शेयर बाजार लाइव की मेजबानी की।

यहां से उनके कैरियर ने रफ्तार पकड़ी और वहीं अगस्त 2003 में उसी प्रोफ़ाइल में ज़ी  न्यूज़ लिमिटेड में शामिल हो गई, वह कुछ क्षेत्रों के लिए शाम के प्राइम टाइम स्लॉट में एक नियमित एंकर बनी। वह खबरों के लिए स्पोर्ट्स बुलेटिन भी संभालती थीं (ज्यादातर चर्चा आधारित)। उन्होंने आसानी से आउटडोर शूटिंग को भी संभाला।

हर चुनौती की स्वीकार करने वाली पीनाज ने 2004 के लोकसभा चुनावों के दौरान इलेक्शन डेस्क को भी संभाला, जिसमें उन्होंने समाचार बुलेटिनों के लिए दैनिक रिपोर्टिंग को कवर करने की जिम्मेदारी ली।3 साल जी न्यूज के साथ के अपने सुहाने सफर को अलविदा कहते हुए उन्होंने वर्ष 2006 में आजतक के लिए काम करना शुरू कर दिया।

उन्होंने 26/11, अन्ना आंदोलन, दिल्ली / मुंबई ब्लास्ट, विश्व कप और सीडब्ल्यूजी जैसी प्रमुख घटनाओं के दौरान रिपोर्टिंग की। उन्होंने साप्ताहिक शो जैसे नेताजी मोहल्ले में (एमसीडी इलेक्शन),  इम्तेहान से करियर तक, ढकीले की दाउद, खेल खेल में आदि का कार्यक्रमों का निर्माण किया और रिपोर्टिंग की।

7 साल तक आजतक में कार्य करने के बाद वह अक्टूबर 2013 में न्यूज नेशन में शामिल हुईं और पिछले 6 सालों से वह न्यूज़ नेशन के साथ काम कर रही है और संपादकीय योजना और निष्पादन, चैनल की समग्र ब्रांडिंग,  संसाधन प्रबंधन और भविष्य की योजना और विचार जैसे विभिन्न स्तरों पर योगदान कर रही है।

पीनाज ने कई बड़े राजनैतिज्ञों का साक्षात्कार तो लिया ही हैं, साथ ही साथ चुनौतिपूर्ण ग्राउंड रिपोर्टिंग को भी भलि भांति पूर्ण किया है। पीनाज ने ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण अफ्रीका में पीएम मोदी को ट्रैक करने से लेकर, थाई गुफा में फंसे बच्चों की न्यूज को कवर करने जैसे कई चुनौती भरे कार्यक्रम किए हैं।

द हिंदुस्तान टाइम्स,  ज़ी न्यूज़ और आजतक में एक रिपोर्टर के रूप में अपने कार्यकाल में  उन्होंने ना केवल राजनेताओं और राजनयिकों का साक्षात्कार लिया है, बल्कि एक पत्रकार के रूप में एक रक्षा विशेषज्ञ के लिए एक उपमहाद्वीप में महासागरों की गहराई का भी पता लगाया है।

आगे बढ़ने के लिए रास्तों की नहीं कदमों की जरूरत होती है और कदम जब बढ़ते हैं तो वह अपने लक्ष्य तक पहुंच ही जाते हैं। आज की तारीख में पीनाज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। उनका चेहरा उनकी आवाज ये बताने के लिए काफी है की आज वो क्या हैं।

Check Also

इन्सान जैसा कर्म करता है, कुदरत या परमात्मा उसे वैसा ही उसे लौटा देता है

एक बार द्रोपदी सुबह तड़के स्नान करने यमुना घाट पर गयी। सुबह का समय था। …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *