तिलक – धार्मिक व वैज्ञानिक दृष्टि से…

ललाट पर दोनों भौहों के बीच विचारशक्ति का केन्द्र है। योगी इसे आज्ञाचक्र कहते हैं। इसे शिवनेत्र अर्थात् कल्याणकारी विचारों का केन्द्र भी कहा जाता है।

यहाँ किया गया चन्दन अथवा सिन्दूर आदि का तिलक विचारशक्ति एवं आज्ञाशक्ति को विकसित करता है। इसलिए हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करते समय ललाट पर तिलक किया जाता है।

पूज्यपाद संत श्री आसाराम बापू को चन्दन का तिलक लगाकर सत्संग करते हुए लाखों-करोड़ों लोगों ने देखा है। वे लोगों को भी तिलक करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। भाव प्रधान, श्रद्धाप्रधान केन्द्रों में जीने वाली महिलाओं की समझ बढ़ाने के उद्देश्य से ऋषियों ने तिलक की परम्परा शुरू की। अधिकांश स्त्रियों का मन स्वाधिष्ठान एवं मणिपुर केन्द्र में ही रहता है। इन केन्द्रों में भय, भाव और कल्पना की अधिकता होती है। वे भावना एवं कल्पनाओं में बह न जायें, उनका शिवनेत्र, विचारशक्ति का केन्द्र विकसित होता हो इस उद्देश्य से ऋषियों ने स्त्रियों के लिए बिन्दी लगाने का विधान रखा है।

गार्गी, शाण्डिली, अनुसूया एवं अन्य कई महान नारियाँ इस हिन्दू धर्म में प्रगट हुई हैं। महान वीरों, महान पुरूषों, महान विचारकों तथा परमात्मा के दर्शन कराने का सामर्थ्य रखने वाले संतों को जन्म देने वाली मातृशक्ति को आज कई मिशनरी स्कूलों में तिलक करने से रोका जाता है। इस तरह का अत्याचार हिन्दुस्तानी कहाँ तक सहते रहेंगे ? मिशनरियों के षडयंत्रों का शिकार कब तक बनते रहेंगे ?

सरकार में घुसे मिशनरियों के दलाल, चमचे और धन लोलुप अखबार वाले जो ग्रीस व रोम की तरह इस भारत देश को तबाह करने पर उतारू हैं, उन धिक्कार के पात्रों को खुले आम सबक सिखाओ।

इंडिया हल्ला बोल

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