संता का रक्षक

संता का अपनी बीवी से झगड़ा हो गया। 

वह काफी गुस्से में अपने घर से निकला गली से होकर जल्दी जल्दी दफ्तर की तरफ जा रहा था तभी उसे एक आवाज सुनाई दी ठहरो! ठहर जाओ! अगर तुमने एक कदम भी आगे बढ़ाया तो एक ईंट तुम्हारे सिर पर आकर गिरेगी और तुम यहीं मर जाओगे। 

संता घबराहट में इधर उधर देखने लगा तभी एक ईंट आकर उसके पैर के पास गिरी संता ने चारों और नजर दौड़ाई पर उसे वो आवाज देने वाला कहीं नजर नही आया। 

वह वैसे ही गुस्से में था तो उसने ज्यादा ध्यान भी नही दिया और आगे बढ़ गया।

गली छोड़कर वह मुख्य सड़क पर आ गया जैसे ही वह सड़क पार करने लगा फिर से वही आवाज उसके कानों में पड़ी ठहरो! ठहर जाओ! एक कदम भी आगे बढ़ाया तो एक गाड़ी तुम्हें कुचल देगी।

संता फिर रुक गया तभी एक गाड़ी संता को लगभग छूती हुई निकल गयी। 

संता बहुत हैरान हो गया कि ये आवाज देने वाला है कौन जो नजर भी नही आ रहा है और मुझे खतरों से भी बचा रहा है। 

संता ने जोर से आवाज लगाई, “अरे भाई कौन हो तुम?” 

दूसरी तरफ से आवाज आई, “मैं आपका सेवक और रक्षक देवदूत हूँ मेरा काम आपको मुसीबतों से बचाना है।”

संता ने चिढ़ते हुए कहा, “अरे कमबख्त उस वक़्त तुम कहाँ मर गए थे जब मेरी शादी हो रही थी।”

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