मोबाइल पर ज्यादा चेटिंग करने की हानियां

बार-बार पॉकेट से मोबाइल निकालना, मैसेज पढ़ना, रिप्लाई करना, ऑफिस में काम करते-करते भी मोबाइल पर मैसेजिंग और चैटिंग का सिलसिला चलता ही रहता है। सुबह आंख खुलते ही हाथों में मोबाइल और रात को बिस्तर पर जाने के बाद भी घंटो मोबाइल पर टुक-टुक करते रहना, आज युवाओं का रुटीन बन चुका है।

पहले मोबाइल सिर्फ दूर रहने वाले परिजनों, परिचितों से बातचीत का माध्यम हुआ करता था, वहीं अब ये मनोरंजन के साथ सोशल शेयरिंग का साधन भी बन गया है। बदलते वक्त में स्मार्ट फोन यूजर्स अब वाट्सऐप, बीबीएम, हाइक, वी चैट जैसी फ्री चैटिंग एप्लीकेशंस के इतने आदी हो गए हैं कि दिन-रात इन पर जमे रहते हैं। खाली समय में फोन पर बात करने या खुद के बारे में सोचने की बजाय, वह मोबाइल ऐप्स को समझने और इस्तेमाल करने में निकाल देते हैं।

मोबाइल खराब हो जाने या नेट डाटा खत्म हो जाने पर युवाओं की प्रतिक्रिया कुछ ऐसी होती है, जैसे कोई व्यक्ति बिना ऑक्सीजन के झटपटा रहा हो। और तो और कंपनियां भी यूजर्स की जरूरत को देखते हुए कई लुभावने ऑफर्स निकालने लगी हैं, ताकि युवा अपने हर एक पल को फैमिली और दोस्तों के साथ बिना किसी झिझक के शेयर कर सकें।

तर्क दिया जा रहा है कि इससे युवा अपनों के और करीब हो रहे हैं। साधारण-सी बातचीत को एक नए अंदाज में एंजॉय कर रहे हैं। इन ऐप्स के जरिए छोटे-छोटे लम्हों को शेयर करने का मजा दोगुना हो गया है।

कॉलेज स्टूडेंट रक्षिता बताती हैं कि उनकी फैमिली में दो बहनें और एक भाई है। भाई नौकरी में व्यस्त है और छोटी बहन अभी स्कूल में है। पापा अपने बिजनेस के सिलसिले में बिजी रहते हैं और मम्मी स्कूल में टीचर हैं। वैसे तो फैमिली के सभी सदस्य रात को डिनर पर एक साथ मिलते हैं। लेकिन कभी-कभी पापा मौजूद नहीं होते है, तो कभी भाई।

सभी लोगों को एक साथ बैठने का मौका कम ही मिल पाता है। इसलिए हम लोगों ने वाट्सऐप पर फैमिली ग्रुप बना लिया है। अब हम सभी साथ बैठें या नहीं, लेकिन वॉट्स ऐप के जरिए हमेशा टच में रहते हैं। वहीं किसी जरूरी बात पर चर्चा भी वॉट्स ऐप पर ही हो जाती है।

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