* आपने अकसर लोगों को वजन घटाने या वजन प्रबंधन के बारे में बात करते हुए सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो वजन बढ़ाने की बात करते हैं। दरअसल, वे उस वर्ग के लोग हैं जिन्हे या तो भूख बहुत कम लगती है और उनका वजन कम है या फिर जो लोग जरूरत से ज्यादा पतले हैं। वजन बढ़ाने के लिए कई दवाईयां आती हैं, लेकिन वजन बढ़ाने के लिए किसी दवाई का प्रयोग न करके बल्कि प्राक़तिक या आयुर्वेदिक प्रणाली का ही इस्तेमाल करना चाहिए। वजन बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनाने से किसी तरह को कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता।
*आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत मोटे तथा अत्यंत दुबले शरीर वाले व्यक्तियों को निंदित व्यक्तियों की श्रेणी में माना गया है। वस्तुतः कृशता या दुबलापन एक रोग न होकर मिथ्या आहार-विहार एवं असंयम का परिणाम मात्र है।
* दुबलापन रोग होने का सबसे प्रमुख कारण मनुष्य के शरीर में स्थित कुछ कीटाणुओं की रासायनिक क्रिया का प्रभाव होना है जिसकी गति थायरायइड ग्रंथि पर निर्भर करती हैं। यह गले के पास शरीर की गर्मी बढ़ाती है तथा अस्थियों की वृद्धि करने में मदद करती है। यह ग्रंथि जिस मनुष्य में जितनी ही अधिक कमजोर और छोटी होगी, वह मनुष्य उतना ही कमजोर और पतला होता है। ठीक इसके विपरीत जिस मनुष्य में यह ग्रंथि स्वस्थ और मोटी होगी-वह मनुष्य उतना ही सबल और मोटा होगा।
* देखा जाए तो 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति का वजन यदि उसके शरीर और उम्र के अनुपात सामान्य से कम है तो वह दुबला व्यक्ति कहलाता है। जो व्यक्ति अधिक दुबला होता है वह किसी भी कार्य को करने में थक जाता है तथा उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो