HOMEMADE REMEDIES FOR TYPHUS FEVER । सन्निपात ज्वर के घरेलू उपचार के बारे में जानिए

HOMEMADE REMEDIES FOR TYPHUS FEVER :- सन्निपात ज्वर को वात-पित्त-कफ ज्वर भी कहते हैं| यह मानव शरीर में इन्हीं तत्वों की अधिकता के कारण उत्पन्न होता है| इसमें ज्वर इतना तेज होता है कि रोगी का होशो-हवास उड़ जाता है| वह मूर्च्छावस्था में बड़बड़ाने लगता है| इस बुखार की अवधि 3 दिन से 21 दिन मानी गई है|

सन्निपात ज्वर का कारण :- नियमित भोजन न करने, मौसम तथा अपनी रुचि के विरुद्ध भोजन करने, भोजन के बाद रबड़ी, दूध, मलाई आदि खा लेने, अजीर्ण में खाना खाने, बहुत ज्यादा उपवास, विषैले पदार्थों का सेवन, शरीर की शक्ति से अधिक मेहनत करने, अधिक स्त्री प्रसंग, चिन्ता, शोक, धूप में अधिक देर तक काम करने आदि कारणों से वात-पित्त-कफ मिलकर इस ज्वर को उत्पन्नकर देते हैं|

यह ज्वर बहुत तकलीफ देता है क्योंकि एक बार चढ़ने के बाद यह जल्दी उतरता| देखा गया है की यदि वात का बुखार उतरता है तो पित्त का बुखार आ जाता है और पित्त का बुखार कम होता है तो कफ का ज्वर चढ़ जाता है| इसलिए इसका उपचार बड़ी सावधानी से करने की जरूरत पड़ती है|

सन्निपात ज्वर की पहचान :- इस बुखार में शरीर बहुत कमजोर हो जाता है| आंखों में जलन, भोजन में अरुचि, कभी गरमी और कभी सर्दी लगना, जोड़ों में दर्द, आंखों में लाली, आंखें भीतर को धंसी हुई तथा काली, कानों में दर्द और तरह-तरह के शब्द होना, गले में कांटे से बन जाना आदि लक्षण सन्निपात ज्वर में दिखाई देते हैं|

खांसी, बेहोशी, जीभ खुरदरी होना, सिर में तेज दर्द, अधिक प्यास लगाना, छाती में दर्द, पसीना बहुत कम आना, मल-मूत्र देर से उतरना, शरीर में दुर्बलता, शरीर पर चकत्ते बन जाना, नाक, कान आदि का पक जाना, पेट का फूला रहना, दिन में गहरी नींद आना, रात में नींद न आना, अत्यधिक थकान आदि लक्षण रोगी को चैन से नहीं बैठने देते|

ऐसे में रोगी का शरीर नीला-सा पड़ जाता है| अगर यथासमय इस बुखार की उचित चिकित्सा नहीं होती तो रोगी की मृत्यु हो जाती है| सन्निपात बुखार के बाद कान के नीचे सूजन हो जाती है| इस सूजन को देखकर चिकित्सक समझ लेता है कि रोगी अधिक दिनों तक जीवित नहीं रहेगा|

सन्निपात ज्वर के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:- त्रिकुटा, सोंठ, भारंगी और गिलोय :- त्रिकुटा, सोंठ, भारंगी और गिलोय का काढ़ा पीने से सन्निपात का ज्वर उतर जाता है|

पोहकरमूल, गिलोय, पित्तपापड़ा, कुटकी, कटेरी, रास्ना, चिरायता, कचूर, सोंठ, हरड़, भारंगी और जवासा :- पोहकरमूल, गिलोय, पित्तपापड़ा, कुटकी, कटेरी, रास्ना, चिरायता, कचूर, सोंठ, हरड़, भारंगी और जवासा – सभी बराबर की मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करें|

घी :- पुराना घी और देशी कपूर 1 ग्राम मिलाकर रोगी के सिर पर दिनभर में चार-पांच बार मालिश करनी चाहिए|

आक, कालीमिर्च, सोंठ, पीपल, चीता, चक, देवदारु, पीला सहिजन, कुटकी, निर्गुडी, बच और एरण्ड :- आक की जड़, कालीमिर्च, सोंठ, पीपल, चीता, चक, देवदारु, पीला सहिजन, कुटकी, निर्गुडी, बच और एरण्ड के बीज – इन सभी जड़ी-बूटियों को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण में से दो चम्मच का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करें|

सिरस, पीपल, कालीमिर्च, काला नमक और गोमूत्र :- सिरस के बीज, पीपल, कालीमिर्च तथा काला नमक-सबको 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर गोमूत्र में पीसकर अंजन बना लें| इस अंजन को आंखों में लगाने से सन्निपात की बेहोशी दूर हो जाती है|

दशमूल और गिलोय :- दशमूल के काढ़े में गिलोय मिलाकर पीने से सन्निपात ज्वर में काफी लाभ होता है|

सन्निपात ज्वर में क्या खाएं क्या नहीं :- सन्निपात ज्वर में कफ-पित्त-वायु को बढ़ाने वाले पदार्थों से बचना चाहिए| अत: हल्के आहार, फल एवं भोजन का सेवन करें, जिनके विषय में पहले बताया जा चुका है| यदि उपर्युक्त नुस्खों से विशेष लाभ न हो तो इस भयंकर ज्वर का इलाज किसी योग्य चिकित्सक से कराएं|

Check Also

HOMEMADE REMEDIES FOR WEATHER INFLUENZA (FLU) । वात श्लैष्मिक ज्वर (फ्लू) के घरेलू उपचार के बारे में जानिए

HOMEMADE REMEDIES FOR WEATHER INFLUENZA (FLU) :- स्वाइन इंफ्लुएंजा को स्वाइन फ्लू के नाम से …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *