HOMEMADE REMEDIES FOR INFLAMMATION OF THE LIVER :- जिगर की सूजन प्राय: गलत खान-पान के कारण होती है| यह जिगर के कोशों में काफी कमी और निष्क्रियता आने से उत्पन्न हो जाती है| यदि इस रोग का शुरू में ही उपचार न कराया जाए तो शरीर में अनेक विकार उभर सकते हैं|
जिगर की सूजन का कारण :- जिगर की सूजन का प्रमुख कारण भोजन को चबाए बिना निगल जाना, ठूंस-ठूंसकर तेल, मिर्च, मसालेदार पदार्थों तथा खट्टी, चटपटी चीजों का सेवन करना होता है| रात्रि का भोजन करने के बाद अधिक देर तक जागकर कार्य करने से भी जिगर में सूजन उत्पन्न हो सकती है| दिनभर कुछ न कुछ खाते रहने से भी पाचन क्रिया विकृत होकर जिगर में सूजन का कारण बन जाती है|
जिगर की सूजन की पहचान :- इस रोग में जिगर में सूजन आ जाती है| वह शनै:-शनै: सिकुड़कर छोटा तथा कठोर हो जाता है| रोगी को अपच, उबकाई एवं वमन की शिकायत होने लगती है| भूख नहीं लगती| शरीर का वजन कम होने लगता है| पेट दर्द, त्वचा में पीलापन, हल्का ज्वर तथा शारीरिक और मानसिक थकावट के लक्षण प्रकट होने लगते हैं| पेट की नसें फूल जाती हैं| शरीर तथा चेहरे पर मकड़ी के जाले-से हल्के चिह्न दिखाई देने लगते हैं|
जिगर की सूजन के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं :- गाजर, पालक, नमक, कालीमिर्च और खीरा :- गाजर का रस एक छोटा गिलास और पालक का रस एक कप दोनों को मिलाकर उसमें बहुत हल्का-सा नमक व कालीमिर्च डालकर पिएं| इन दोनों रसों का सेवन इतनी ही मात्रा में दिन में दो बार करें| सप्ताह में तीन दिन इस रस का तथा इसी प्रकार चार दिन गाजर और खीरे के मिले-जुले का रस का प्रयोग करें| इसे भी दिन में दो बार सूर्यास्त से पूर्व लें|
पपीता और नीबू :- पपीते के बीजों को सुखाकर बारीक चूर्ण बना लें| एक बड़ा चम्मच चूर्ण लेकर इसमें आधा नीबू मिला लें| दिन में दो बार इस चूर्ण का सेवन करने से जिगर की सूजन में पर्याप्त लाभ मिलता है|
आंवला और जल :- सूखे आंवले का चूर्ण 4 ग्राम या आंवले का रस 25 ग्राम एक छोटे गिलास शुद्ध जल में अच्छी तरह मिलाकर दिन में चार बार सेवन करें|
जामुन :- अच्छी क्वालिटी की पकी हुई जामुन 300 ग्राम प्रतिदिन खाली पेट खाएं| शाम को सूर्यास्त से पूर्व पुन: 200 ग्राम खाएं| यह यकृत के सभी रोगों में लाभदायक सिद्ध होती है|
नीबू, कालीमिर्च, काला नमक, सोंठ, और मिश्री :- नीबू के चार टुकड़े करें और उनके बीज निकालकर फेंक दें| अब एक-एक टुकड़े में क्रमश: कालीमिर्च का चूर्ण, काला नमक, सोंठ का चूर्ण एवं मिश्री का चूर्ण भरकर चीनी की एक प्लेट में रख दें| इसके ऊपर दूसरी चीनी की प्लेट रखकर मंदी आंच में गरम करें|
दोनों प्लेट चीनी, शीशे या पत्थर की बनी होनी चाहिए, किसी धातु की नहीं| आठ घंटे बाद नीबू को तवे पर रखकर पुन: मंदी आंच में गरम करके थोड़ी देर रुककर उसे चूस लें| उपर्युक्त विधि से रोज दो बार नीबू का सेवन सात दिनों तक करने से जिगर के रोगी का लाभ होता है|
हरड़ और गुड़ :- बड़ी-पीली हरड़ को पीसकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण की डेढ़-डेढ़ ग्राम मात्रा की गोलियां पुराने गुड़ (डेढ़-डेढ़ ग्राम) के साथ बना लें| एक-एक गोली दिन में दो बार लें| इसका सेवन 45 दिनों तक करने से बढ़े हुए जिगर के रोग में पर्याप्त लाभ मिलता है| इससे बढ़ी हुई तिल्ली भी ठीक हो जाती है|