HOMEMADE REMEDIES FOR HEMORRHAGE । नकसीर के घरेलू उपचार के बारे में जानिए

HOMEMADE REMEDIES FOR HEMORRHAGE :- नकसीर फूटना रोग यदि साधारण हो तो अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन नकसीर फूटने का रोग बार-बार हो तो उसे रोकना कठिन होता है। नकसीर में खून हमेशा एक ही तरफ की नाक से न आकर स्वर नली या गलकोष या आमाशय से भी आता है। नाक से खून का स्राव नाक के एक या दोनों छिद्रों से हो सकता है।

यदि खून नाक के एक छिद्र से निकल रहा हो तो इसका कारण स्थानिक हो सकता है लेकिन नाक के दोनों छेद से खून निकलता हो तो इसका कारण शरीर का अन्य रोग हो सकता है। नाक से अचानक खून की धार फूटने की नकसीर कहते हैं| यह बच्चों तथा युवकों को अधिक होती है| कभी-कभी वृद्धों को भी इससे पीड़ित होते देखा गया है|

नकसीर गरमी के वातावरण में शारीरिक गरमी बढ़ जाने के कारण फूटती है| असल में शरीर का रक्त गरम होकर पतला पड़ जाता है| जिन बच्चों तथा युवकों की प्रकृति पित्त प्रधान होती है, उनका पतला रक्त नाक के द्वार से बाहर निकलना शुरू हो जाता है| नाक से निकलने वाला यह रक्त पित्त रोग के अन्तर्गत माना जाता है|

जो लोग गरम तासीर वाले भोजन के शौकीन होते हैं तथा शराब, सिगरेट-बीड़ी आदि का आधिक सेवन करते हैं या धूप में देर तक कार्य करते रहते हैं, उनको यह रोग बड़ी जल्दी हो जाता है| नकसीर फूटने पर बच्चे/युवक को तुरन्त किसी ठंडी जगह पर ले जाकर लिटाना चाहिए| प्राथमिक उपचार के लिए उसकी नाक को ठंडे पानी से धोकर उस पर ठंडे पानी की पट्टी रखनी चाहिए|

पट्टी माथे पर रखने से भी रोगी को काफी राहत मिलती है| गुलाब का फूल व खस की जड़ को पानी में भिगोकर तथा पुदीना पीसकर बार-बार सुंघाना चाहिए| खून बंद होते ही नाक के नथुनों की सफाई कर देनी चाहिए| यदि रोगी जूते-मोजे या मोटे कपड़े पहने हुए हो तो उसे तुरन्त उतार देना चाहिए| पैर के तलवों पर देशी घी या मक्खन मलना चाहिए|

नकसीर का कारण :- नाक अथवा दिमाग में अचानक चोट लगने, खून के भार में वृद्धि होने, पुराने जुकाम के बिगड़ जाने आदि के कारण नाक से खून बहने लगता है| कई बार पुराने बुखार की गरमी से भी खून फूट पड़ता है| नकसीर प्राय: गरमियों में फूटती है क्योंकि इस मौसम में शरीर में काफी गरमी बढ़ जाती है|

नकसीर की पहचान :- नकसीर फूटने से पहले सिर में भारीपन मालूम पड़ता है| फिर अचानक सिर में दर्द हो जाता है| दिमाग घूमने लगता है और कभी-कभी तेज चक्कर आ जाता है| लगता है, जैसे दिमाग में किसी ने गरमी के बगूले भर दिए हों| इसके बाद बच्चे या युवक की नाक से गरम-गरम खून बहना शुरू हो जाता है| खून के बहने की क्रिया कभी तो नाक के बाएं नथुने से होती है और कभी दोनों नथुनों से| खून मुंह में आकर पेट में भी चला जाता है| इससे खांसी पैदा हो जाती है| रोगी घबरा जाता है| उसे सांस लेने में भी मुसीबत मालूम पड़ती है|

नकसीर के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं :- आम :- आम की गुठली को पीसकर उसका रस निकाल लें| फिर इस रस को नाक में बूंद-बूंद टपकाएं|

गन्ना और प्याज :- गन्ने के रस में आठ-दस बूंद प्याज का रस मिलाकर नाक, कनपटियों तथा माथे पर धीरे-धीरे मलें|

फिटकिरी :- माथे पर फिटकिरी का लेप करने से नाक से खून गिरना रुक जाता है|

आंवला और मुलहठी :- एक चम्मच आंवले का चूर्ण तथा एक चम्मच मुलहठी का चूर्ण – दोनों को मिलाकर रोगी को दूध या ताजे पानी से सेवन कराएं|

अनार, घी और दूब :- 10 ग्राम अनार की पत्तियों का रस, 10 ग्राम गेंदे की पत्तियों का रस तथा 10 ग्राम दूब का रस – तीनों को गाय के घी में मिलाकर, थोड़ी देर तक आग पर पकने दें| फिर इसमें से एक चम्मच दवा रोगी को पिलाएं| नाक तथा माथे पर उस घी की मालिश भी करें|

गुलाबजल और किशमिश :- रात में गुलाबजल में किशमिश पीसकर सेवन करें|

धनिया, मिश्री और पानी :- ताजे पानी में धनिया के थोड़े से दाने भिगो दें| फिर उनको पीसकर मिश्री डालकर रोगी को तीन-चार बार पिलाएं|

पेठा :- पेठे की मिठाई खिलाने तथा पेठे का शरबत पिलाने से भी नकसीर का खून रुक जाता है|

आंवला और सेंधा नमक :- आंवले के रस में सेंधा नमक डालकर सेवन करें तथा स्वरस नाक में भी बूंद-बूंद टपकाएं|

तुलसी :- माथे पर तुलसी के पत्तों का लेप करने से खून रुक जाता है|

उरद :- उरद की दाल पीसकर माथे पर लेप करें|

मुलतानी :- मुलतानी मिट्टी भिगोकर नाक तथा माथे पर लेप करने से नकसीर में काफी लाभ होता है|

बेल :- बेल के पत्तों का रस एक चम्मच की मात्रा में पिलाने से नकसीर का खून रुक जाता है|

नीबू :- ताजे नीबू का रस निकालकर नाक में टपकाएं|

नीबू :- नीबू की शिकंजी पिलाने से नाक से खून बहना रुक जाता है|

गेहूं और दूध :- यदि नकसीर फूटने पर खून न रुके तो दो चम्मच जौ या गेहूं का आता कच्चे दूध में अच्छी तरह घोलकर पिला दें|

बथुए और नीबू :- बथुए के रस में थोड़ा-सा नीबू का रस मिलाकर पिलाने से नकसीर का खून रुक जाता है|

गाय का दूध :- गाय के दूध में थोड़ी-सी फिटकिरी डालकर रोगी को बार-बार सुंघाएं|

अजवायन और नीम :- अजवायन तथा नीम के पत्तों को पीसकर लेप बना लें| फिर इस लेप को रोगी की कनपटियों और माथे पर लगाएं|

लौकी और शहद :- दो चम्मच लौकी के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर पिलाएं|

नकसीर में क्या खाएं क्या नहीं :- नकसीर फूटने पर खाने-पीने में कोई विशेष परहेज नहीं है| फिर भी गरम पदार्थ, गरम मसाले, चाट-पकौड़े, चाय, कहवा, शराब या अन्य प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए| शरीर की सहनशीलता तथा स्वभाव से अधिक ठंडे पदार्थों को भी नहीं ग्रहण करना चाहिए|

जहां तक हो सके, सम स्वभाव या तासीर के फल तथा सब्जियां खानी चाहिए| गरमी वाले स्थानों तथा धूप में काम करने की क्रिया-विधि रोक देनी चाहिए| ठंडे स्थानों में निवास करना तथा कुछ ठंडे पदार्थों का सेवन हितकारी रहता है| वैसे पित्त को शान्त करने वाले नुस्खों का इस्तेमाल किया जा सकता है|

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