जैन धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है. जैन कहते हैं उन्हें जो ‘जिन’ के अनुयायी हो. ‘जिन’ शब्द बना है ‘जि’ धातु से. ‘जि’ माने जितना. जिन अर्थात् जितने वाला जिन्होंने अपने मन को जीत लिया है. अपनी वाणी को जीत लिया है. वे हैं ‘जिन’. जैन अर्थात ‘जिन’ भगवान को धर्म.
जैन धर्म का पवित्र और अनादि मूलमंत्र मूलमंत्र है-णमोकार मंत्र
णमो अरिहंताणं॥ णमो सिद्धाणं॥
णमो आयरियाणं॥ णमो उवज्झायाणं॥
णमो लोए सव्वसाहूणं॥ एसो पंच णमोकारो॥
सव्व पावपणासणो॥ मंगलाणं च सव्वेसिम॥
पदमं हवई मंगलं॥
अर्थात- अरिहंतो को नमस्कार
सिद्धों को नमस्कार.
आचार्यो को नमस्कार
उपाध्याय को नमस्कार
साधुओं को नमस्कार
ये पाँच परमेष्ठी होते हैं.
सम्प्रदाय
1- दिगम्बर – नग्न रहते हैं.
2- श्वेताम्बर-सफ़ेद वस्त्र पहनते हैं. श्वेताम्बर भी तीन भाग में विभक्त होते हैं.
– मूर्तिपूजक
– स्थानकवासी
– धर्मग्रन्थ
आगम
श्वेताम्बर आगम
दिगम्बर आगम
समस्त आगम ग्रन्थों को चार भागों में बांटा गया है-
प्रथमानुयोग
करणायोग
चरणानुयोग
द्रव्यानुयोग
अन्य ग्रन्थों के नाम :-
षटखण्डागम समयसार
धवलाटीका योगसार प्रवचनसार
महाधवला टीका पंचास्तिकाय
कसाय पाहुड बारसाणुवेक्खा
जयधवला टीका
जैन आत्मा को मानते हैं. वो उसे जीव कहते हैं. अजीव को पुदगल कहा जाता है. जीव दुख-सुख, दर्द आदि का अनुभव करता है और पुर्नजन्म लेता है.
. मोक्ष – जीवन व मरण के चक्र से मुक्ति को मोक्ष कहते हैं.
. चरित्र – सम्यक, दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र.
. छः द्रव्य – जीव, अजीव, धर्म, अधर्म, आकाश, काल.
. सात तत्व – जीव, अजीव, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा, मोक्ष.
. नौ पदार्थ – जीव, अजीव, आस्रक, बन्ध, संवर, निर्जरा, मोक्ष, पुण्य, पाप.
. चार कषाय – क्रोध, मान, माया, लोभ.
. चार गति – देव, मनुष्य, तिर्यंज, नरक
. पाँच महाव्रत – अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह
जैन धर्म के मुख्य त्यौहार
पयूर्षण पर्व, महावीर जयंती, मोक्ष सप्तमी, अष्टान्हिका पर्व, पार्श्वनाथ जयंती, निर्वाण महोत्सव.