शक्ति और जागरण की रात – महाशिवरात्रि
जैसा की हमने आपको अपने पिछले लेख में बताया था की इंडिया हल्लाबोल के पाठकों की डिमांड पर हमने दुनिया की तन्त्र की राजधानी माने जाने वाली पीठ “कामख्या मंदिर” (गुवाहटी, असम) के भैरव पीठ के उत्तराधिकारी श्री शरभेश्वरा नंद “भैरव” जी महाराज से बात कर उनसे तन्त्र के सही स्वरूप को जानने के लिए निवेदन किया था। जिस पर इंडिया हल्ला बोल के पाठकों के लिए उन्होंने पहली बार मीडिया में अपने लेख देने के लिए अपनी सहमति दी है। उसी क्रम में हम आज उनका ये लेख आपके लिए लेकर आये हैं “शक्ति और जागरण की रात – महाशिवरात्रि “
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श्री शरभेश्वरा नंद “भैरव” जी महाराज के अनुसार
आज हम भगवान शिव और शिवरात्रि महापर्व पर यह लेख लिख रहे हैं। वैसे तो बहुत विद्वानों, ऋषि-मुनियों, वेदों, ग्रंथों, शास्त्रों और पुराणों ने शिवरात्रि महापर्व पर बहुत विस्तार से लिखा है। हमें यह लेख लिखने की प्रेरणा “भैरव” जी से प्राप्त हुई है और हम आशा करते हैं की इस लेख से बहुत से साधक लाभान्वित होंगे।
भगवान शिव जो कि देवों के देव हैं, महादेव हैं, आदि योगी, आदि गुरु हैं और संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं। उनके विषय में उनके रहस्य के विषय में पूर्णत: जान पाना देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। शिवरात्रि का महापर्व एक ब्रम्हांडीय घटनाक्रम है। यह पुरुष और प्रकृति का मिलन है। शिव-शक्ति का मिलन है।
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ब्रम्हांडीय तौर पर अगर इसका आकलन किया जाए तो इस दिन ब्रह्मांड के संचालन की प्रक्रिया शिव और शक्ति के सायुज्य से प्रारंभ हुई थी। संपूर्ण ब्रह्मांड शिव और शक्ति मयी है। शिवरात्रि पर शक्ति की भी पूर्ण प्रचंडता रहती है क्योंकि इस दिन शक्ति शिवत्व को प्राप्त करती है। अक्सर लोग महाशिवरात्रि को शिव विवाह ही कहते हैं परंतु यह शक्ति विवाह महोत्सव भी है क्योंकि कठोर तपस्या के उपरांत इस दिन माता पार्वती ने शिव की प्राप्ति पति रूप में की थी। तो यह शक्ति के पूर्णता का महापर्व है, शक्ति पूर्ण रुप से शिव में समा जाती है। जैसा कि शास्त्र कहते हैं, जो इस ब्रह्मांड में हैं वही हमारे शरीर में है तो उसी तरह हमारे भीतर की कुंडलिनी शक्ति इस महारात्रि पर पूर्ण जागरण की अवस्था में होती है और वह स्वत: ही शिव प्राप्ति की ओर संचालित हो जाती है, बस जरूरत है तो इस गूढ़ रहस्य को समझने की। यह महा उल्लास का महापर्व है। इस दिन संपूर्ण ब्रह्मांड उल्लास में मगन होता है। तो यह अपने आप में बहुत बड़ा घटनाक्रम है, इसका लाभ आम व्यक्ति किस तरह ले सकता है उस विषय में हम कुछ जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
गृहस्थी क्या करें….
एक गृहस्थी इस दिन अपने घर में या किसी शिवालय में जाकर भगवान शिव का पूजन और अभिषेक अवश्य करें। यह ध्यान रखें कि यह पर्व कुछ मांगने का नहीं है यह पर्व भगवान शिव और मां शक्ति को अपने श्रद्धा-सुमन अपने भक्ति भाव समर्पित करने का है। रात्रि में अगर हो सके तो चार प्रहर का पूजन करें अगर चार पहर का पूजन ना कर सके तो रात्रि जागरण अवश्य करें क्योंकि इस रात्रि में पृथ्वी एक ऐसे आयाम में होती है कि वह आपको स्वत: ही अध्यात्मिक विकास और शिव शक्ति के सानिध्य की ओर ले जाती है। यहां पर आवश्यकता है मनोभाव से पूर्णत: शिव और शक्ति सानिध्य प्राप्त करना और उस सानिध्य को पूर्ण भक्ति भाव से आत्मसात करना। यह साधना शिवशक्ति कृपा प्रसाद के रूप में आपके जीवन के सभी कष्टों, पाप कर्मों का स्वत: नाश करेगी और आप को शिवरात्रि का पूर्ण पुण्य प्राप्त होगा।
पंचाक्षरी मंत्र… “ॐ नमः शिवाय” का यथासंभव जाप करें। घर में कन्याएं जिनका अभी विवाह नहीं हुआ है उत्तम पति प्राप्ति के लिए भगवान शिव के “चंद्रशेखर” स्वरूप का पूजन और चंद्रशेखर स्तोत्र का पाठ करें…
योगी क्या करें…..
भगवान शिव ही पहले योगी हैं और मानव स्वभाव की सबसे गहरी समझ उन्हीं को है। उन्होंने अपने ज्ञान के विस्तार के लिए 7 ऋषियों को चुना और उनको योग के अलग-अलग पहलुओं का ज्ञान दिया, जो योग के 7 बुनियादी पहलू बन गए। योग का 8वां अंग मोक्ष है। 7 अंग तो उस मोक्ष तक पहुंचने के लिए है।
जो लोग योग साधना कर रहे हैं उनके लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन वह अपना योगाभ्यास भगवान शिव का पूजन करने के उपरांत अपने मन को शिव शक्ति में स्थिर कर करें। नए योग साधक इस दिन भगवान शिव का पूजन कर उनसे आशीर्वाद ग्रहण कर अपना योगाभ्यास प्रारंभ करें। इस दिन किया गया योगाभ्यास वर्ष के अन्य दिनों की तुलना में कहीं अधिक लाभप्रद होता है। भगवान शिव के आदि योगी स्वरूप का ध्यान करें।
साधक क्या करें…..
जितने भी साधक हैं वह इस दिन अपनी साधना और गहनता से करें जिन्हें बार-बार साधनाओं में असफलता प्राप्त होती है वह इस दिन अपनी साधना आदि गुरु भगवान शिव और आदिशक्ति मां पार्वती का पूजन-अर्चन करने के उपरांत पुनः प्रारंभ करें। नए साधक इस दिन मंत्र दीक्षा प्राप्त करें, गुरु दीक्षा प्राप्त करें। इस दिन किया गया कोई भी कार्य पूर्णता को अवश्य प्राप्त करेगा और साधक की साधना पूर्णत: सफल होगी।
जितने भी कलाकार हैं वह इस दिन अपनी गायन कला, अपनी नृत्य कला, संगीत विद्या कला द्वारा भगवान शिव की स्तुति करें, मां भगवती आदि शक्ति की स्तुति करें और महा उल्लास मनाएं। इन सभी विद्याओं का प्रतिपादन भी भगवान शिव द्वारा हुआ है।
इस दिन आदिगुरु “नटराज स्तुति” और गंधर्व “पुष्पदंत” द्वारा रचित भगवान शिव की स्तुति ”शिव महिम्न्स्तोत्रं” का पाठ करें…..
विद्यार्थी, कृषक और व्यापारी क्या करें….
इस दिन भगवान शिव का अभिषेक, पूजन करें और उनकी कृपा प्राप्त करें। यह दिन सरस्वती पूजन लक्ष्मी पूजन और भूमि पूजन के लिए सर्वोत्तम दिन है क्योंकि मां सरस्वती विद्या की देवी, मां लक्ष्मी धन संपदा की देवी और प्रकृति यह पृथ्वी मां “आदिशक्ति” का ही अंश है। शिवरात्रि के दिन आदि शक्ति अपनी पूर्णता में विद्यमान होती है क्योंकि शक्ति की पूर्णता “शिव” में है और शिव की पूर्णता “शक्ति” में है तो यह दिन पूजन के लिए सर्वोत्तम है।
श्री शिव लिंगाष्टकम का यथासंभव पाठ करें इसमें स्वत: ही शक्ति के तीनों सवरूप मां काली, महालक्ष्मी और मां सरस्वती का पूजन हो जाएगा। कृषक लोग कुछ अऩ का दान शिवालय में भंडारे आदि के लिए अवश्य करें….
रोगी और प्रेत बाधा ग्रसित लोग क्या करें….
जिस व्यक्ति को असाध्य रोग ,हो बहुत वर्षों से रोग पीड़ा में हो तो वह इस दिन भगवान शिव, महा शक्ति का पूजन करवाएं, व्याधि का पूजन करवाएं और भगवान महामृत्युंजय का विशेष पूजन करवाएं। उन्हें रोगों में निश्चित तौर पर लाभ प्राप्त होगा। इस समय पृथ्वी का आयाम कुछ ऐसा रहता है की हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वत: ही बढ़ जाती है तो रोगी व्यक्ति को इस दुर्लभ महा पर्व का अवश्य लाभ लेना चाहिए। जिन लोगों को प्रेत या तंत्र मंत्र से संबंधित बाधा रहती है वह इस दिन किसी तंत्राचार्य से बाधा मुक्ति अनुष्ठान अवश्य करवाएं। जितने भी प्रेत पिशाच ब्रह्मराक्षस आदि हैं वह सभी के सभी महादेव भगवान शिव के गण है और इस महापर्व पर वह भी महा उल्लास में मग्न होते हैं और पीड़ित व्यक्ति को तुरंत बाधामुक्त करते हैं….. यह शिव वाक्य है।
“नीलकंठ अघोर शिव प्रयोग” किसी तंत्र आचार्य से करवायें यह बहुत ही उग्र और विस्फोटक है ! इस प्रयोग से सभी तरह के तंत्र -मंत्र और अभिचार कर्म नष्ट होते हैं।
तंत्र विशेष :
जितने भी तंत्र साधक ,अघोर मार्ग, वाम मार्ग या दक्षिण मार्ग के साधक है वह इस दिन अपने गुरु परंपरा के अनुसार या प्राप्त हुई दीक्षाओं के अनुसार शिव शक्ति का अनुष्ठान करें। सभी गूढ़ रहस्यमई विद्याओं के पुरोधा भगवान शिव हैं, तो उनकी कृपा प्राप्ति किए बिना इस मार्ग पर आगे बढ़ना असंभव है।
इस दिन शिव परम भक्त “रावण” कृत “शिव तांडव स्तोत्र” का पाठ अवश्य करें…..
हम अंततः यही कहना चाहते हैं की शिवरात्रि महापर्व संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए मानव समाज के लिए एक महापर्व है ,एक उल्लास का पर्व है। अपनी गुप्त-सुप्त शक्तियों की जागृति का पर्व है। इस उल्लास को पूर्ण मनोभाव से मनाएं अपने जीवन को शिव शक्ति के चरणों में समर्पित करें तो यह शिवरात्रि महापर्व आपके जीवन को एक नई दिशा में एक नई ऊंचाई में अवश्य स्थापित करेगा।
शिवरात्रि महापर्व, महा उल्लास की शुभकामनाओं सहित……
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