क्रिटिक रेटिंग : 4/5
स्टार कास्ट : वरुण धवन और बनिता संधू
डायरेक्टर : शुजीत सरकार
प्रोड्यूसर : शुजीत सरकार
संगीत : शांतनु मोइत्रा, अनुपम रॉय और अभिषेक अरोड़ा
जॉनर : रोमांटिक ड्रामा
डायरेक्टर शुजीत सरकार की फिल्म अक्टूबर सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इसे आपको जरूर देखना चाहिए।वरुण धवन और बनिता संधू स्टारर यह फिल्म एक संवेदनशील लव स्टोरी है, जो खुद को दूसरी फिल्मों से अलग करती है। फिल्म का स्क्रीनप्ले जूही चतुर्वेदी ने लिखा है और वाकई यह एक यूनिक स्टोरी नजर आती है।
फिल्म की कहानी के मुताबिक, डैन उर्फ़ दानिश (वरुण धवन) एक फाइव स्टार होटल में बतौर ट्रेनी काम कर रहा है। डैन की खासियत यह है कि वह अपनी लाइफ के किसी भी काम को गंभीरता से नहीं लेता। लेकिन वह खुद का रेस्त्रां खोलने का सपना देखता है।
जब डैन की कलीग शिउली (बनिता संधू) का एक्सिडेंट होता है और वह आईसीयू में एडमिट हो जाती है, तब डैन को अपनी जिंदगी का मकसद समझ आता है। शिउली कोमा में चली जाती है और उसकी मां विद्या अय्यर (गीतांजली राव) उम्मीद खो बैठती है। लेकिन डैन को पूरा भरोसा रहता है कि शिउली जीना चाहती है।
समय बीतता जाता है और शिउली के फ्रेंड्स अपने-अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं। लेकिन डैन ऐसा नहीं कर पाता। उसे पूरा यकीन रहता है कि एक दिन शिउली जीना चाहती है और उसे एक मौका मिलना चाहिए। क्या वाकई डैन का विश्वास जीत पाता है? शिउली के एक्सीडेंट के बाद डैन की लाइफ में और क्या बदलाव आते हैं?
आखिर क्यों फिल्म का टाइटल अक्टूबर रखा गया? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।जहां कहानी पर जूही चतुर्वेदी की पकड़ जबर्दस्त है तो वहीं, इसे पर्दे पर उतारने में शुजीत सरकार की मेहनत भी साफ दिखाई देती है।
सरकार ने इतने आत्मविश्वास के साथ कहानी को पर्दे पर उतारा है कि उन्हें स्ट्रेसफुल सिचुएशन में भी गैरजरूरी मेलोड्रामा और वल्गैरिटी का सहारा लेने की जरूरत नहीं पड़ी। कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है और शिउली के एक्सीडेंट के बाद उनके प्रियजनों की जिंदगी में आई स्थिरता को बेहतर तरीके से पेश करती है।
शुरुआत में ऐसा लगता है कि वरुण धवन इस रोल के लिए परफेक्ट नहीं थे। लेकिन फिल्म पूरी होते-होते उनकी सिंसेरिटी और डायरेक्टर की प्रति समर्पण साफ़ दिखाई देता है। उन्होंने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है। जाहिरतौर पर वरुण यह भलीभांति जानते हैं कि उनके लिए कौनसा सब्जेक्ट सही रहेगा और वे डायरेक्टर को पूरा सपोर्ट करते हैं।
न्यूकमर बनिता संधू के पास ज्यादा कुछ करने को नहीं था। एक्सीडेंट के बाद वे ज्यादातर वक्त बेड पर ही दिखीं। हालांकि, उन्हें जितना मौक़ा मिला, उतने में जबर्दस्त काम किया है। बनिता की मां के रोल में विद्या अय्यर ने भी बढ़िया काम किया है।
फिल्म का म्यूजिक शांतनु मोइत्रा, अनुपम रॉय और अभिषेक अरोड़ा ने मिलकर बनाया है और यह खूबसूरत है। मोइत्रा द्वारा कम्पोज किया और सुनिधि चौहान द्वारा गाया गया ‘मनवा’ बाकी सॉन्ग्स की तुलना में सबसे अच्छा है।