रेटिंग : 2/5
स्टार कास्ट : अर्जुन रामपाल, ऐश्वर्या राजेश, आनंद इंगले, अनुप्रिया गोयनका, निशिकांत कामत, राजेश श्रींगारपुरे
डायरेक्टर : अशिम अहलुवालिया
म्यूजिक : साजीद-वाजिद
प्रोड्यूसर : अर्जुन रामपाल, रुत्विज पटेल
जॉनर : पॉलिटिकल क्राइम ड्रामा
डायरेक्टर आशिम अहलुवालिया की फिल्म डैडी एक मशहूर गैंगस्टर से पॉलिटिशन बने अरुण गवली की कहानी पर आधारित है। डायरेक्टर आशिम अहलुवालिया की फिल्म डैडी सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। ये फिल्म एक मशहूर गैंगस्टर से पॉलिटिशन बने अरुण गवली की कहानी पर आधारित है।
फिल्म में अरुण गवली का किरदार अर्जुन रामपाल ने निभाया है। हालांकि, फिल्म की कहानी में नयापन कुछ भी नहीं है और गैंगस्टर की घिसी पिटी कहानी को दोहराया गया है।मुंबई के गैंगस्टर जिसे लोग डैडी के नाम से बुलाते है यानी अरुण गवली की जिदंगी पर बनी फिल्म है डैडी।
फिल्म की शुरुआत एक एमएलए के मर्डर से शुरू होती है, जिसके आरोप में डैडी यानी अरण गवली (अर्जुन रामपाल) को गिरफ्तार किया जाता है। मर्डर के जुर्म में गवली को जेल भेजा जाता है। जेल में वो अपनी कहानी सुनाता है। कहानी फ्लैश बैक 70 के दौर से शुरू होती है।
गवली मुंबई की एक चाल में रहता है, जो मजदूर मिल में काम करता है, लेकिन गरीबी और परिस्थितयां उसे आम इंसान रहने नहीं देती। दो दोस्त बाबू (आनंद इंगले) और रामा (राजेश श्रींगारपुरे) के साथ मिलकर गैंग बनाता है और जुआ, मटका खेलने लगता है।
फिर एक दिन उसके हाथों एक मर्डर होता है। ये सिलसिला चलता रहता है और गवली अंडरवर्ल्ड का एक जाना-पहचाना चेहरा बन जाता है। ये गैंग मुंबई पर राज करती है। यही वजह गवली को दाऊद इब्राहिम का दुश्मन बना देता है। फिल्म में दाऊद के किरदार को मकसूद (फरहान अख्तर) का नाम दिया गया है।
गवली का पीछा करते एक लालची, अति महत्वाकांक्षी पुलिस वाला विजयकर नितिन (निशिकांत) को भी दिखाया है। गवली एक मुस्लिम लड़की जुबैदा (ऐश्वर्या राजेश) से शादी करता है। गैंगस्टर, खून खराबा, जेल जाना, हिंसा और दबदबा बनाने में कामयाब अरुण को लोग क्यों डैडी समझने लगते हैं।
लोग उसे क्यों रॉबिनहुड का नाम देते है? क्यों उसे दोनों धर्मों के लोगों का सपोर्ट मिलता है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।फिल्म का डायरेक्शन अच्छा है और डायरेक्टर अशिम अहलुवालिया ने गैंगस्टर की कहानी को पर्दे पर बखूबी दिखाया है। लोकेशन और सिनेमेट्रोग्राफी भी अच्छी है।
लेकिन कैसे गवली लोगों का मसीहा बना, कोर्ट केस, डॉन का रोल (मकसूद) को सही तरीके से दिखाने में डायरेक्टर असफल रहा है। फिल्म में कुछ नयापन नहीं है। फिल्म देखते हुए आपको लगेगा जैसे पहले भी कई बार इस तरह की फिल्में देख चुके हैं। कहानी दर्शाने का तरीका भी बेहद फीका है, इसे और बेहतर बनाया जा सकता है।
वहीं, फिल्म कब फ्लैशबैक में है और कब रियल में देखने वालों को कन्फ्यूज करती है।अर्जुन रामपाल ने अरुण गवली की भूमिका बेहतरीन तरीके से अदा की है। फिल्म में अरुण गवली जैसा दिखने के लिए उनकी नाक और माथे में बदलाव किया गया, इस कारण अर्जुन के चेहरे में काफी कुछ गवली की छाप दिखती है।
अर्जुन की आवाज और उनकी डायलॉग डिलिवरी अच्छी है। निशीकांत कामत ने पुलिस ऑफिसर का रोल बेहतरीन तरीके ने निभाया है। वहीं, फरहान अख्तर मकसूद के किरदार में कही भी फीट नहीं बैठते हैं।
फिल्म का म्यूजिक ठीक है। बैकग्राउंड म्यूजिक ज्यादा बेहतर बन पड़ा है। गणपति वाला गाना अच्छा है। एक गाना ईद मुबारक, अरुण गवली (अर्जुन) और उनकी पत्नी आशा गवली (ऐश्वर्या राजेश) पर फिल्माया गया है।अगर आपको क्राइम, गैंगस्टर पर आधारित फिल्में देखना पसंद है और आप अर्जुन रामपाल के फैन है तो ही फिल्म देखने जाए।