मुंबई, भारत, 10 अक्टूबर 2022 /PRNewswire/ — कोविड-19 महामारी ने 5-18 आयु वर्ग की लड़कियों की शिक्षा को कैसे प्रभावित किया, यह समझने के लिए एजुकेट गर्ल्स ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के गांवों में 900 से अधिक घरों की माताओं, लड़कियों और लड़कों के साथ एक व्यापक अध्ययन किया।
![Increasing household chores and early marriage are preventing girls from staying in school, according to study by Educate Girls Increasing household chores and early marriage are preventing girls from staying in school, according to study by Educate Girls](https://mma.prnewswire.com/media/1917023/Educate_Girls.jpg)
अध्ययन में सामने आए मुख्य निष्कर्ष –
- महामारी के बाद से किशोरियों (15 से 18 वर्ष) के लिए घर के कामों में लगने वाले समय में अधिक वृद्धि हुई है।
- उत्तर प्रदेश में आयोजित चर्चाओं में भाग लेने वाली लगभग 30% लड़कियों की या तो शादी हो चुकी थी या सगाई हो गई थी। राजस्थान में सभी चर्चाओं में लड़कियों ने उल्लेख किया कि उनकी शादी के प्रस्तावों में वृद्धि हुई है।
- 4 में से 3 किशोरी लड़कियों स्कूल शुरू होने पर भी घर के कामों के बोझ में दबी हुई हैं।
ग्रामीण भारत में लड़कियों की शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली भारतीय गैर-लाभकारी संस्था एजुकेट गर्ल्स ने महामारी के प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए दलबर्ग इंटरनेशनल एडवाइजर्स (Dalberg International Advisors) के समर्थन से नवंबर और दिसंबर 2021 के दौरान एक अध्ययन किया। इस अध्ययन के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 5 से 18 आयु वर्ष की लड़कियों पर हुए महामारी के प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए माताओं के साथ-साथ 3,200 से अधिक लड़कियां और लड़के इस अध्ययन में शामिल हुए थे।
कोविड-19 महामारी से लगे लॉकडाउन ने सभी को प्रभावित किया, लेकिन दुनिया के सबसे गरीब लोगों पर इसका असर और भी ज्यादा प्रभावी रहा। अगर हम भारत की बात करें तो यहाँ साल 2020 में 15 लाख प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बंद होने से इन स्कूलों में नामांकित 247 मिलियन बच्चों पर असर पड़ा। लड़कियां और विशेष रूप से जरूरतमंद और कमजोर समुदायों की लड़कियां सबसे अधिक प्रभावित हुईं है।
एजुकेट गर्ल्स भारत में ऐसी ही जरूरतमंद और कमजोर लड़कियों के जीवन में महामारी से हुए परिवर्तनों और स्कूल लौटने की संभावनाओं को समझना चाहती थीं ।
लड़कियों को फिर से स्कूल शुरू करने और स्कूल में ठराव में आने वाली बाधाएं –
वित्तीय संकट में वृद्धि की वजह से स्कूल उपस्थिति हुई प्रभावित
– जिन गांवों में स्कूल खुल चुके हैं वहां करीब 94 फीसदी लड़कियां और 96 फीसदी लड़कों ने कहा कि वे स्कूल जा रहे हैं। हालांकि, स्कूल नहीं जाने वाली किशोरियों (23%) का अनुपात स्कूल नहीं जाने वाले किशोर लड़कों की तुलना में लगभग दोगुना था।
– स्कूल नहीं जाने वाली किशोरियों की संख्या उन परिवारों में 2.3 गुना अधिक है, जिन्होंने पूर्व-महामारी की तुलना में अपनी आय का आधा हिस्सा खो दिया है।
घर के कामों का बढ़ा बोझ
– लॉकडाउन के कारण लड़कियों पर घर के कामों का बोझ बढ़ गया। घर के कामों में लगने वाले समय में वृद्धि हुई है जो किशोरियों की तुलना में किशोर लड़कों से अधिक है। सामान्य रूप से यह देखा जाता है कि बड़ी उम्र की किशोरियां घर के कामों की प्रमुख जिम्मेदारी लेती हैं।
– घर के कामों में बिताए जाने वाले समय की संख्या सभी लड़कियों के लिए प्रतिदिन 1 घंटे से अधिक बढ़कर औसतन 3.5 घंटे प्रतिदिन हो गई है। इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा ऐसे कामों में है जो सुबह स्कूल जाने से पहले करने की आवश्यकता होती है।
– 4 में से 3 किशोरियां स्कूल खुलने पर भी घर के कामों का बोझ उठाती रहेंगी।
जल्द शादी की समस्या
– उत्तर प्रदेश में, स्कूल में भाग लेने वाली लगभग 30% लड़कियों की या तो शादी हो गई या सगाई हो गई।
– कई लड़कियों ने लॉकडाउन के दौरान हुई गरीबी के साथ अन्य परिस्थितियों के कारण जल्द शादी का खतरा होने की संभावना व्यक्त की है।
– अधिकांश माता-पिता और किशोर लड़कियों ने बताया कि लॉकडाउन और कुल मिलाकर कोविड अवधि के दौरान लड़कियों की शादी नहीं हुई थी, और न ही उनकी सगाई या सगाई के बारे में बात हुई थी।
– केवल 1% किशोरियों ने शादी होने की बात को स्वीकार किया जबकि किशोर लड़कों के लिए यह संख्या 2% है। 4% किशोर लड़कियों और 2% किशोर लड़कों ने कहा है कि लॉकडाउन के बाद शादी के प्रस्तावों की संख्या में वृद्धि हुई है।
“रिपोर्ट के निष्कर्ष स्पष्ट है, लड़कियों की शिक्षा में बाधाएं पहले से कहीं अधिक हुई हैं। हमें किशोर लड़कियों के जीवन में इन बाधाओं से लड़ने की जरूरत है कि ये लड़कियां स्कूल जाएं, पढ़ाई बीच में न छोड़ें और सीखना जारी रखें। किशोर लड़कियों के ऊपर प्रभाव सबसे अधिक है। ये रिपोर्ट लड़कियों की कहानियों और उनके जीवन पर महामारी के दीर्घकालिक प्रभाव पर भी प्रकाश डालती है।”
– सफीना हुसैन, संस्थापिका और बोर्ड सदस्य
“एजुकेट गर्ल्स भारत के कुछ सबसे ग्रामीण, दूरस्थ और जरूरतमंद और कमजोर समुदायों के साथ काम करती है। इस अध्ययन ने विशेष रूप से कोविड-19 के बाद के समय में शिक्षा के माध्यम से लड़कियों का समर्थन करने की महत्वपूर्णता पर सबूत बनाए हैं । रिपोर्ट के निष्कर्षों ने हमें समुदायों और सरकार के साथ काम करने की योजना बनाने में मदद की है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लड़कियां स्कूल में वापस आएं।”
– महर्षि वैष्णव एजुकेट गर्ल्स, सीईओ एजुकेट गर्ल्स
इस अध्ययन के निष्कर्षों को ‘ग्रामीण भारत में कोविड -19 का प्रभाव और लड़कियों पर इसका प्रभाव‘ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में संकलित किया गया है। एजुकेट गर्ल्स ने इस रिपोर्ट में आगे आने वाले अवसरों को भी रेखांकित किया है, जिसमें शिक्षक और किशोर लड़कियों को सीखने से जोड़े रखने और उन्हें स्कूल वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
एजुकेट गर्ल्स के बारे में:
एजुकेट गर्ल्स एक ग़ैर-लाभकारी संस्था है जो भारत के ग्रामीण और शैक्षिक रूप से पिछड़े इलाकों में बालिकाओं की शिक्षा के लिए समुदायों को प्रेरित करता है। सरकार के साथ साझेदारी में काम करते हुए एजुकेट गर्ल्स वर्तमान में राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 21,000 से अधिक गांवों में सफलतापूर्वक कार्यरत है। सामुदायिक स्वयंसेवकों की बड़ी संख्या को सहभागी बनाते हुए, एजुकेट गर्ल्स स्कूल से वंचित बालिकाओं की पहचान, नामांकन, और स्कूलों में ठहराव बनाए रखने और सभी बच्चों (दोनों – बालिकाओं और बालकों) के लिए साक्षरता और अंक गणितीय योग्यता में बुनियादी सुधार के लिए मदद करता है । अधिक जानकारी के लिए: www.EducateGirls.ngo
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