नींद एक प्रकार की बेहोशी है। वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि भोजन करने के पश्चात शरीर के रक्त का एक बड़ा भाग अमाशय और आंतो की और चला जाता है । ऐसे में हमारे मस्तिष्क को रक्त समुचित मात्रा में उपलभ्ध नहीं हो पाता और हमारा शरीर सुस्त पढ़ने लगता है जिसकी वजह से हमें नींद आने लगती है । कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि शरीर में जे लैक्टिक ऐसिड अधिक मात्रा में एकत्र होता है उससे नींद आती है । कुछ शोधकर्ताओं ने मनुष्य के शरीर में एक कारक खोज निकाला है जिसे अगर जागते हुए मनुष्य के रक्त में इंजेक्ट कर दिया जाए तो उसे भी नींद आने लगती है । इस कारक को ‘हिप्नोजेनिक’ नाम दिया गया है । नींद के लिए शरीर में कई अवस्थाएं हैं । थेलेमस और आग्र मस्तिष्क में नींद के उच्च केंद्र होते हैं । रेटिकुलर यंत्र हमारे शरीर को जगाए रखता है और इनमें किसी प्रकार की कमी होने से नींद सताने लगती है । इस बात को ध्यान में रखते हुए क्लिटमैन ने नींद का जो सिद्धांत रखा है वो सबसे ठीक मालूम पड़ता है । उनका कहना है कि शरीर में छोटी-छोटी तंत्रिकाएं रेटिकुलर यंत्र को उद्धीपित करती रहती हैं । इस तरह से रेटिकुलर निर्माण तंत्र हमें जगाए रखता है । जब हम अधिक थक जाते हैं तो इन तंत्रिकाओं के तंत्र के पास उद्दीपन के पहुंचने में कमी आ जाती है और तब ये तंत्र हमें जगाए रखने में असमर्थ हो जाता है और हमें नींद आने लगती है
इंडिया हल्ला बोल