चिली में भूकम्प के रुक रुक कर 42 झटके

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चिली में गुरुवार को भूकंप के 42 झटके आए। इससे चिली ही नहीं, बल्कि 3500 किमी दूर तक जमीन हिल गई। भूकंप से आठ लोगों की मौत हो गई। कई इमारतें जमींदोज हो गई हैं।सबसे पहला और बड़ा झटका रिक्टर पैमाने पर 8.3 का था जो बुधवार रात आया। इसके बाद 12 घंटे के अंदर 6 बड़े और 36 छोटे आफ्टरशॉक्स महसूस किए गए। भूकंप के 90 मिनट बाद ही समुद्र में 15 फीट ऊंची लहरें उठीं। इससे चिली के शहर कोक्विम्बो के निचले इलाकों में पूरी तरह से पानी भर गया है। 10 लाख लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है।

USGS के मुताबिक, चिली के लापेल में भूकंप का पहला झटका 10 बज कर 59 मिनट पर (लोकल टाइम के अनुसार) महसूस किया गया। इसके बाद 17 सितंबर सुबह चार बजे तक 6 बड़े झटके आए। इनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6 से ऊपर थी।छह बड़े झटके आठ घंटे के अंदर महसूस किए गए। earthquaketrack के मुताबिक, 16 सितंबर रात 22:54 बजे से लेकर 17 सितंबर की सुबह 10 बजकर 51 मिनट तक (लोकल टाइम) भूकंप के 42 झटके आए।

झटके अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में भी महसूस किए गए। यहां कई इमारतें और घर जमींदोज हो गए। कई लोग घायल हुए हैं।चिली में भूकंप के बाद खनन का काम रोक दिया गया है।पेरू, फ्रेंच पॉलीनेशिया, हवाई (अमेरिका) और न्यूजीलैंड में सुनामी की वॉर्निंग है।चिली की नेवी ने बताया कि भूकंप के बाद 3 से 15 फीट ऊंची लहरें उठी हैं। कोक्मिबो शहर के कोस्टल इलाकों में पानी भर गया है। कोक्मिबो की मेयर क्रिस्टीना गालेगुइल्लोस ने कहा, “भूकंप और इसके बाद लहरे उठने से हालात खराब हो गए हैं।”2010 में चिली में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके बाद सुनामी की लहरें उठी थीं। इसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। लाखों घर तबाह हो गए थे।

पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं जो लगातार घूम रही हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

अर्थक्वेक ट्रैक एजेंसी के मुताबिक, हिमालयन बेल्ट की फॉल्ट लाइन के कारण एशियाई इलाके में ज्यादा भूकंप आ रहे हैं। इसी बेल्ट में हिंदुकुश रीजन भी आता है। इस साल अप्रैल-मई में नेपाल में आए भूकंप के कारण करीब 8 हजार लोगों की मौत हुई थी। हिमालय कुछ सेंटीमीटर की दर से उत्तर में खिसक रहा है। हिमालयन फॉल्ट लाइन पर भारत सरकार की मदद से अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की थी। यह स्टडी यूएस जर्नल लिथोस्फीयर और जेजीआर में छपी थी। इस स्टडी को लीड कर चुके जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के सी.पी. राजेंद्रन के मुताबिक, हिमालय 700 साल पुरानी फॉल्ट लाइन पर मौजूद है। यह फॉल्ट लाइन ऐसे मुहाने पर पहुंच चुकी है कि कभी भी वहां ऐसा भूकंप आ सकता है जो पिछले 500 साल में नहीं देखा गया हो।

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