धन समृद्धि के लिए करे इन उपयो को

funding-for-the-prosperity

जाने अनजाने ऐसी गलती हो जाती है जिससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। अगर घर का निर्माण वास्तुशास्त्री की सलाह से करवाते हैं तो घर वास्तु दोष से मुक्त हो सकता है लेकिन कई बार घर की साज सजावट और घर में रखे सामानों से भी वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है।वास्तु दोष का असर हमेशा बना रहता है लेकिन जिस दिशा में वास्तु दोष हो उस दिशा से संबंधित ग्रह की दशा जब शुरु होती है तब उस घर में रहने वाले व्यक्ति को उसका बुरा प्रभाव भोगना पड़ता है।

वास्तुदोष दूर करने के लिए कई उपाय हैं जिनमें कई उपकरण, तंत्र और मंत्र शामिल हैं। यहां हम बता रहे हैं कि मंत्रों से कैसे वास्तु दोष से मुक्ति पा सकते हैं। र्ईसान दिशा के स्वामी बृहस्पति हैं। और देवता हैं भगवान शिव। इस दिशा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नियमित गुरू मंत्र ‘ओम बृं बृहस्पतये नमः’ मंत्र का जप करें।शिव पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय का 108 बार जप करना भी लाभप्रद होता है। घर का पूर्व दिशा वास्तु दोष से पीड़ित है तो इसे दोष मुक्त करने के लिए प्रतिदिन सूर्य मंत्र ‘ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ का जप करें। सूर्य इस दिशा के स्वामी हैं।

इस मंत्र के जप से सूर्य के शुभ प्रभावों में वृद्घि होती है। व्यक्ति मान-सम्मान एवं यश प्राप्त करता है। इन्द्र पूर्व दिशा के देवता हैं। प्रतिदिन 108 बार इंद्र मंत्र ‘ओम इन्द्राय नमः’ का जप करना भी इस दिशा के दोष को दूर कर देता है। आग्नेय दिशा के स्वामी ग्रह शुक्र और देवता अग्नि हैं। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शुक्र अथवा अग्नि के मंत्र का जप लाभप्रद होता है। शुक्र का मंत्र है ‘ओम शुं शुक्राय नमः’।

अग्नि का मंत्र है ‘ओम अग्नेय नमः’। इस दिशा को दोष से मुक्त रखने के लिए इस दिशा में पानी का टैंक, नल, शौचालय अथवा अध्ययन कक्ष नहीं होना चाहिए। दक्षिण दिशा के स्वामी ग्रह मंगल और देवता यम हैं। दक्षिण दिशा से वास्तु दोष दूर करने के लिए नियमित ‘ओम अं अंगारकाय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।यह मंत्र मंगल के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है। ‘ओम यमाय नमः’ मंत्र से भी इस दिशा का दोष समाप्त हो जाता है। नैऋत्य दिशा के स्वामी राहु ग्रह हैं। घर में यह दिशा दोषपूर्ण हो और कुण्डली में राहु अशुभ बैठा हो तो राहु की दशा व्यक्ति के लिए काफी कष्टकारी हो जाती है।

इस दोष को दूर करने के लिए राहु मंत्र ‘ओम रां राहवे नमः’ मंत्र का जप करें। इससे वास्तु दोष एवं राहु का उपचार भी उपचार हो जाता है। पश्चिम दिशा के स्वामी ग्रह शनि हैं। जबकि इस दिशा के देवता वरूण देव हैं। इस दिशा में किचन कभी भी नहीं बनाना चाहिए।इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शनि मंत्र ‘ओम शं शनैश्चराय नमः’ का नियमित जप करें। यह मंत्र शनि के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है। वायव्य दिशा के ग्रह स्वामी चन्द्रमा हैं। यह दिशा दोषपूर्ण होने पर मन चंचल रहता है।घर में रहने वाले लोग सर्दी जुकाम एवं छाती से संबंधित रोग से परेशान होते हैं।

Check Also

घर में कभी नहीं लगानी चाहिए ताजमहल की तस्वीर’ :- वास्तुशास्त्र

वास्तुशास्त्र कभी गलत नहीं होता । इसीलिए भारत मे  जितने भी मंदिर हैं वो सभी …