भूमि बिल पर विशेष बैठक हो सकती है

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जीएसटी विधेयक को विशेष बैठक बुलाकर पारित कराने की कोशिश हो सकती है। संभावना जताई जा रही है कि इस माह के अंत तक संसद की विशेष बैठक 30 अगस्त के आसपास बुलाई जाएगी। इसका संकेत तब मिला जब संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया कि मानसूत्र सत्र का औपचारिक रूप से सत्रावसान नहीं किया जाएगा। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली का भी स्पष्ट कहना है कि वह अगले साल अप्रैल से जीएसटी लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

अगले कुछ दिनों में राज्यसभा के आंकड़े तो नहीं बदलने वाले हैं लेकिन सरकार को भरोसा है कि कइयों के दिल दिमाग जरूर बदलेंगे। संभव है कि जन दबाव में कांग्रेस का तेवर भी बदले। सरकार इसी सकारात्मक सोच के साथ संसद की विशेष बैठक बुलाकार जीएसटी विधेयक को पार लगाने की कोशिश कर सकती है। इसके लिए अगले कुछ दिनों में विभिन्न दलों को साधने की कवायद शुरू हो जाएगी। गुरुवार को जेटली ने इसका संकेत दे दिया। उन्होंने कहा कि जीएसटी से जिन राज्यों को कुछ नुकसान होता है हम उसकी क्षतिपूर्ति करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि नवंबर में शीतकाल सत्र में अगर विधेयक पारित होगा तो अप्रैल से लागू करना मुश्किल होगा। गौरतलब है कि संसद से पारित होने के बाद इसे दो तिहाई राज्यों की विधानसभा से भी पारित कराना होता है।

उन्होंने कहा कि कुछ दिनों के लिए संसद की विशेष बैठक बुलाने को मानसून सत्र का ही विस्तार माना जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी कांग्रेस की ओर से ही लाया गया विधेयक है और संसदीय स्थायी समिति भी इससे सहमत है। क्षतिपूर्ति होने के बाद कोई राज्य इसके विरोध में नहीं है। विपक्ष के कई दूसरे छोटे दल इसका समर्थन करेंगे। संकेत यह था कि राज्यसभा मे कांग्रेस बाहर भी चली जाए तो सरकार के पक्ष मे जरूरी समर्थन होगा।

सूत्रों के अनुसार विशेष बैठक पर अंतिम फैसला लेने से पहले पार्टी दूसरे विपक्षी दलों से मशविरा कर लेना चाहती है। ध्यान रहे कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक है और इसे व्यवस्थित सदन में वोटिंग के जरिये ही जरूरी आंकड़ों से पारित किया जा सकता है।

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